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Sunday, June 8, 2025
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24 सितंबर : चमचों का जन्मदिन

आज ही के दिन गांधी एन्ड कांग्रेस कंपनी ने बाबासाहेब को पूना पैक्ट के लिए समझौता करने पर मजबूर किया था। बाबासाहेब इस पूना...

एन दिलबाग सिंह का कॉलम: लोकतंत्र और जातितंत्र

अगर सरल भाषा में कहा जाये तो लोकतंत्र का मतलब एक ऐसी व्यवस्था जिसमें देश के सभी लोगों के लिए समानता, समता, स्वतंत्रता, प्रतिनिधित्व,...

एन दिलबाग सिंह का कॉलम: मजबूत राजनीति मतलब सरकार में तवज्जो

जिस समाज या जाति की मजबूत राजनीति होती हैं, उसकी बातो को सरकार तव्वजो देती हैं. महाराष्ट्र में मराठा रिजर्वेशन के लिए मराठा लोग...

देश ने पहली महिला अध्यापिका मां सावित्री बाई फुले को क्यों भुला दिया?

मेरे मायनों में शिक्षक वह होता है जो आपको जीवन जीने की विद्या सिखाता है. किसी बच्चे के लिए सबसे पहली शिक्षिका उसकी मां...

ओपिनियन: दलितों की स्वतंत्र राजनीति से दिक्कत क्यों?

Dalit Politics: दलितों की स्वतंत्र राजनीति किसी को भी नही जमती, ना सवर्णो को, ना पिछड़ों को और तो और दलित-आदिवासी समाज के बुद्धिजीवियों...

एन दिलबाग सिंह का कॉलम: देश धर्म और जाति का वजूद

लोग कहते हैं कि धर्म इंसानियत सिखाता है लेकिन, इतिहास और वर्तमान दोनों गवाह हैं कि जब-जब लोगों ने धर्म-धर्म चिल्लाना शुरू किया तब-तब...

ओपिनियन: महापुरुष किसी एक जाति के नहीं होते

महापुरुषों और महास्त्रियों का जातिय विभाजन अब खतरनाक दौर में पहुंच चुका है, अब हर आदर्श व्यक्तित्व को जातिगत सीमाओं में आबद्ध किया जा...

एन दिलबाग सिंह का कॉलम: बदलाव हथियार से नही वोट से आएगा

आज गाँधी वर्सेज गोडसे फिल्म यू -टयूब पर देखने लगा, फिल्म मे जबरदस्ती गोडसे को गाँधी के समान दिखाने की कोशिश की गई हैं....

एन दिलबाग सिंह का कॉलम: दलितों के राजनैतिक आन्दोलन की विफलता

देश में दलित आन्दोलन और दलित राजनीति की शुरूवात प्रभावी तरीके से 1927-28 से मानी जा सकती है. जब बाबासाहेब डॉ अम्बेड़कर के प्रयासों...

ओपिनियन: भारत को नीति नही नियत बदलने की जरूरत

राष्ट्रीय शिक्षा व्यवस्था में किसी नीतिगत बदलाव की जरूरत नहीं, मात्र यह कानून बना दिया जाए कि देश के सभी सरकारी कर्मचारी, शिक्षकों एवं...

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