बहनजी ने पर्यावरण के लिये Start Today Save Tomorrow तर्ज पर अपनी भूमिका अदा की है, अपने 2007 की पूर्ण बहुमत की सरकार के दौरान बहनजी ने अपने सरकार एक नारा बुलंद किया था.
उत्तर प्रदेश का संकल्प महान
सुरक्षित रहे पर्यावरण, हरा भरा हो उपवन.
इसी तर्ज पर मान्यवर श्री कांशीराम ग्रीन (इको गार्डन) का निर्माण 17 सितम्बर 2009 को किया है, जिसकी लागत 835 करोड़ है, जो कि 112 एकड़ में फैला है. इसमें तक़रीबन 12000 से ज्यादा उत्साहित पेड़ पौधे है, जो पर्यावरण एवं जनमानस के लिए हितकारक है, इसलिए उसे ईको गार्डन कहा जाता है, इसमें बहुत सारी सुविधाएं भी है.
इसी गार्डन में दो ग्रीन हाउस है, जिसमें पेड़ पौधों का निर्माण किया जाता है, औऱ आगे उसे संवर्धित किया जाता है. इसमें 500 से ज्यादा तांबे की आर्टिफीशियल विविध पेड़ एव जानवरों की मूर्तियां है, जिसमें जिराफ, वाघ, तेंदवा, पैंथर, कंगारू जैसे जानवरों की मूर्तियों से भरा है जिसे चिड़िया घर कहा जाता है.
इसी गार्डन से सरकारी आमदनी भी होती हैं, विविध टूरिस्ट साइट पर इसकी जानकारी उपलब्ध है, यह गार्डन लखनऊ एयरपोर्ट से 6.30KM है. जिसकी एंट्री फ़ी मात्रा 15 रूपए, पार्किंग फ़ी 2 व्हीलर के लिए 10₹ और फोर व्हीलर के लिये 20/30₹ है. यहाँ रोजाना लाखो लोग आते.
बहनजी ने पर्यावरण का समतोल बनाने के साथ-साथ सरकार के वित्तीय व्यवस्था को टूरिस्ट प्लेस के जरिये कैसे इज़ाफा हो इसका पूरा पूरा ख्याल रखा है. यह सोच सिर्फ और सिर्फ़ बहनजी ही रख सकती है. मैं अर्थशास्त्र का छात्र होने के नाते इतना तो जनता हूँ, की कोई भी टूरिस्ट प्लेस सरकार के लिये एवं उस प्रदेश के वित्तीय व्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान देता है. इसके साथ साथ बता दूँ, की विविध खाजगी टूरिस्ट कंपनियों को भी इसका लाभ हुवा है, साथ साथ विविध यूट्यूब वीडियो के माध्यम से न्यूज़ चैनल एव व्लोगोर को भी अच्छी खासी आमदनी हुई है, इसको शायद ही कोई नकार सकता है.
पर्यावरण को बनाये रखने के लिए बसपा के शासन काल में उत्तर प्रदेश सरकार के नेतृत्व में लखनऊ। से सटा इलाका 600 एकड़ क्षेत्र ग्रीन बेल्ट के तौर पर माननीय बहनजी ने किया है। जिसमें बहनजी के सरकार ने 13 करोड़ पौधे लगाने संकल्प को पूरा भी किया था। जिसकी जानकारी शायद सभी लोगों को नहीं होंगी। इसलिये यह लेख आप एकतरफा ना समजे, आप सभी पढ़ने वाले इसकी जानकारी ले सकते है। आप सोशल मीडिया एव वीडियो के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त कर सकते है।
(लेखक – मयुर ओव्हाळ, ये लेखक के अपने विचार हैं)