Dr Ambedkar Father of Constitution: 26 नवंबर 1949 के दिन बाबासाहेब अम्बेड़कर ने 395 अनुच्छेद एवं 8 अनुसूचियों वाले भारत के संविधान को भारत के प्रथम राष्ट्रपति को सौंपा था. इस ऐतिहासिक दिन का पर्व पूरे राष्ट्र में “संविधान दिवस (Constitution Day)” के रूप में मनाया जाता है. खासकर अम्बेड़करवादी और बसपा से प्रभावित लोग इस दिन देशभर में कार्यक्रम आयोजित जरूर करते हैं.
मैं यहाँ आपको बाबासाहेब या संविधान का इतिहास नही बल्कि उस सवाल के जवाब की पड़ताल करने वाला हूँ जिसे देश के जातिवादी लोग बर्दाश्त नही कर पाते हैं.
कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि बाबासाहेब को संविधान निर्माता क्यों माने? अकेले बाबासाहेब ने संविधान नही लिखा है?
इस सवाल के जवाब की पड़ताल जवाहर लाल नेहरू युनिवर्सिटी में समाजशास्त्री प्रो विवेक कुमार ने की है और उनके अनुसार बाबासाहेब ही संविधान निर्माता है. इस दावे के लिए वह 8 दलील देते हैं. जिन्हे आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ.
इन 8 कारणों को जानने के बाद फिर कोई आपसे पूछे कि बाबासाहेब ही संविधान निर्माता क्यों है तो आप इन 8 बातों को बता सकते हैं.
प्रो विवेक कुमार कहते हैं;
- बाबासाहेब ने संविधान सभा में संविधान में रखे गए मसौदे में निहित तथ्यों को समझाते हुए 17 दिसंबर, 1946 को 3310 शब्दों का अपना प्रथम वक्तव्य दिया.
- बाबासाहेब ने लगातार 141 दिनों तक संविधान निर्मात्री कमेटी के चेयरमैन के रूप में अकेले काम किया. कहने के लिए उस कमेटी में 7 लोग थे.
- बाबासाहेब के अनुसार जब संविधान का प्रारूप तैयार हो गया तो उसे जनता की प्रतिक्रिया के लिए रखा गया. इस प्रतिक्रिया में 7635 संशोधन पारित हुए. बाबासाहेब ने इन संशोधनों को पढ़कर 5162 संशोधनों को अस्वीकार करते हुए 2473 संशोधनों को संविधान में समायोजित किया.
- अपने द्वारा तैयार किए गए संविधान के प्रारूप में निहित तथ्यों को संविधान सभा के सदस्यों को समझाने के लिए उन्होने 4 नवम्बर 1948 को 8334 शब्दों का भाषण दिया.
- संविधान सभा की कार्यवाही में बाबासाहेब आम्बेड़कर रोजाना 8 से 9 बार खड़े होकर बोलते थे पर अनेक बार ऐसा भी समय आता था जब 1 ही दिन में बाबासाहेब को 24 से 25 बार खड़े होकर सदन का मार्गदर्शन करना पढ़ता था.
- शायद इसलिए टी.टी. कृष्णमाचारी ने संविधान सभा को यह बताया था कि यद्यपि संविधान निर्मात्री कमेटी में 7 सदस्य थे लेकिन– एक ने त्यागपत्र दे दिया, एक की मृत्यु हो गई, एक सदस्य अमेरीका चले गए, एक अन्य सदस्य राज्य के कार्यों में वय्स्त थे, एक या दो सदस्य दिल्ली से दूर रहते थे और अपने खराब स्वास्थ्य के कारण संविधान के कार्यों में हिस्सा नहीं ले पाए- अत: हुआ यह कि संविधान बनाने का सारा काम अकेले बाबासाहेब को ही पूरा करना पड़ा.
- इस तरह बाबासाहेब ने संविधान सभा में कुल 2 साल 11 महिने एवं 18 दिन तक लगातार काम किया.
- संविधान की फाइनल कॉपी राष्ट्रपति के हाथों में सौंपते समय 25 नवम्बर 1949 को संविधान सभा में संविधान के गुण, दोष, प्रकृति, भविष्य आदि को विस्तार से समझाते हुए तथा सभी राजनीतिक विचारधारा के सदस्यों का एवं अपने सहयोगियों का धन्यवाद करते हुए 3900 शब्दों का अंतिम भाषण दिया.
क्या बाबासाहेब ही भारती संविधान के पितामह है? ऊपर प्रस्तुत दलिलों पर आप क्या सोचते हैं. आपकी राय कमेंट जरूर कीजिए और इस आर्टिकल को अधिक से अधिक साथियों तक शेयर कीजिए. ताकि सच्चाई से वाकिफ हो सके.