बहुजन समाज का भविष्य : जंगलराज या कानूनराज?
आज बहुजन समाज अपने सकारात्मक लक्ष्यों से भटककर मनुवादी दलों के षड्यंत्रों में उलझ गया है। उसका वर्तमान उद्देश्य भाजपा सरकार के कथित जंगलराज को समाप्त करना बन गया है, किंतु वह यह निर्धारित नहीं कर पा रहा कि भाजपा के स्थान पर सत्ता किसे सौंपी जाए। यदि भाजपा और सपा के प्रचार को आधार मानें और उत्तर प्रदेश में सपा को विकल्प मान लिया जाए, तो क्या इससे प्रदेश में अराजकता और जंगलराज समाप्त हो जाएगा? सपा के पिछले शासनकाल की समीक्षा करें, तो यह स्पष्ट है कि उसका शासन गुंडों के प्रभुत्व का प्रतीक था। प्रश्न उठता है—क्या एक गुंडे का विकल्प दूसरा गुंडा हो सकता है? इतिहासकार और राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने सपा के शासन को “गुंडा तत्वों के संरक्षण” के रूप में वर्णित किया है (स्रोत: द हिंदू, 15 जनवरी 2017)।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 में सपा को आशा की दृष्टि से देखने वाले बहुजन समाज को इतिहास से सीख लेनी चाहिए। जहां सपा ने अपने शासन में गुंडों को संरक्षण प्रदान किया, वहीं बसपा ने अपने प्रारंभिक कार्यकाल में गुंडों और माफियाओं के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की। 1995 में जब मान्यवर कांशीराम ने मुलायम सिंह यादव को सत्ता से हटाकर मायावती को मुख्यमंत्री बनाया, तो कुछ बहुजन विद्वानों ने बसपा पर भाजपा से गठजोड़ का आरोप लगाकर दुष्प्रचार शुरू किया, जो आज भी जारी है। किंतु वास्तविकता यह है कि उस समय बसपा को न केवल भाजपा, बल्कि कांग्रेस, कम्युनिस्ट और अन्य दलों ने भी बिना शर्त समर्थन दिया था, ताकि प्रदेश को गुंडों से मुक्ति मिल सके। यह तथ्य उत्तर प्रदेश विधानसभा के अभिलेखों और समकालीन समाचार रिपोर्टों में दर्ज है (स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया, 22 जून 1995)।
बसपा ने अपने संक्षिप्त कार्यकाल में 1,45,000 से अधिक गुंडों और माफियाओं को जेल में डाला। कानून का ऐसा शासन स्थापित हुआ कि कई गुंडे अन्य राज्यों में भाग गए और कुछ माफिया विदेशों में शरण लेने को विवश हुए। बसपा ने न केवल मुलायम सिंह के संरक्षित गुंडों को, बल्कि भाजपा और कांग्रेस जैसे दलों के सामंती गुंडों को भी दंडित किया। यह आंकड़ा बसपा के आधिकारिक दस्तावेजों और उत्तर प्रदेश पुलिस के रिकॉर्ड से लिया गया है (स्रोत: बसपा कार्यालय प्रकाशन, 1996)। जब समर्थन देने वाले दलों ने अपने गुंडों को बचाने के लिए दबाव बनाया, तो मान्यवर कांशीराम ने दृढ़ता से कहा, “सरकार एक दिन चले या दो दिन, वह बसपा की नीतियों, सिद्धांतों और कार्यक्रमों पर आधारित होगी। हमारा प्रथम लक्ष्य गुंडाराज को समाप्त करना है। हमने गुंडों के सरगना को सत्ता से हटा दिया है, अब माफियाओं को ऐसा सबक सिखाएंगे कि देशभर में संदेश जाए।” (स्रोत: बहुजन संगठक, 3 जुलाई 1995, अंक-23, वर्ष-15)
साथ ही, बसपा ने असमान सामाजिक व्यवस्था को समतामूलक बनाने की दिशा में कदम उठाए। स्मारकों, उद्यानों और जिलों के नामकरण के माध्यम से बहुजन इतिहास और संस्कृति को समृद्ध किया गया। मान्यवर कांशीराम के शब्दों में यह ‘उत्तर प्रदेश का अम्बेडकराइजेशन’ था, जो आज वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान का हिस्सा है। इस दौरान लखनऊ में डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मारक और अन्य परियोजनाओं का निर्माण इसका प्रमाण है (स्रोत: उत्तर प्रदेश सरकार, लोक निर्माण विभाग, 2008)। इस अवधि में बसपा का एजेंडा और कार्यशैली विश्व के सामने स्पष्ट हुई। यह निर्विवाद है कि बसपा और मायावती ही भारत के सुंदर भविष्य की रचयिता हो सकती हैं।
बसपा एक स्वतंत्र वैचारिकी पर आधारित राष्ट्र निर्माण का आंदोलन है। यही कारण है कि आम जनता के साथ-साथ उसके विरोधी भी उसकी स्वतंत्र पहचान, विकास कार्यों और कानून व्यवस्था की सराहना करते हैं। उदाहरण के लिए, राजनीतिक विश्लेषक प्रो. सुधींद्र शर्मा ने बसपा के शासन को “कानून के राज की मिसाल” बताया है (स्रोत: इंडिया टुडे, 10 मई 2007)। आज बसपा बहुजन समाज की स्वतंत्र राजनीतिक अस्मिता, संवैधानिक शासन और कानून के राज का पर्याय है। यह भारत के लिए एकमात्र सशक्त विकल्प है। इसी कारण सभी दल और मनुवादी ताकतें बसपा के खिलाफ एकजुट होकर दुष्प्रचार करती हैं।
आज जनता के सामने बसपा के रूप में एक स्पष्ट विकल्प है—उसका एजेंडा, कार्यशैली और संविधान के प्रति निष्ठा सबके सामने है। अब जनता को यह निर्णय लेना है कि वह जंगलराज (सपा, भाजपा, कांग्रेस आदि) चाहती है या कानून का राज (बसपा)। यह विचार डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के संविधान सम्मत शासन के सिद्धांतों पर आधारित है, जिसे बसपा ने अपने शासन में लागू किया (स्रोत: भारत का संविधान, अनुच्छेद 14, 21)।
स्रोत और संदर्भ:
- योगेंद्र यादव, “उत्तर प्रदेश में सपा का शासन,” द हिंदू, 15 जनवरी 2017।
- “मायावती का मुख्यमंत्री बनना,” टाइम्स ऑफ इंडिया, 22 जून 1995।
- बसपा कार्यालय प्रकाशन, “गुंडों के खिलाफ कार्रवाई,” 1996।
- मान्यवर कांशीराम, उद्धरण, बहुजन संगठक, 3 जुलाई 1995, अंक-23, वर्ष-15।
- उत्तर प्रदेश सरकार, लोक निर्माण विभाग, “अम्बेडकर स्मारक निर्माण,” 2008।
- प्रो. सुधींद्र शर्मा, “बसपा का शासन,” इंडिया टुडे, 10 मई 2007।
- भारत का संविधान, अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार)।