30.1 C
New Delhi
Wednesday, October 22, 2025

एन दिलबाग सिंह का कॉलम: मनुस्मृति और रामचरितमानस का विरोध किसी जाति विशेष के खिलाफ़ जहर नही

कुछ साथियों का मानना है कि मनुस्मृति या तुलसीदास द्वारा लिखी रामचरितमानस का विरोध बेवजह है. क्योंकि इनको कौन पढ़ता होगा या पढ़ते भी होंगे तो नाममात्र के लोग ही पढ़ते होंगे.

बात तो सही है कि मनुस्मृति या रामचरितमानस आदि तो बहुत कम लोग पढ़ते होंगे या पढ़कर जातिवादी बनते होंगे. लेकिन, जातिवाद तो आज भी है, सोचना होगा कि कहीं पीड़ित समाज की खामोशी ही जातिवादियों की ताकत तो नही हैं?

आपको क्या लगता है भाई कि सदियों पहले जो अछूतों के साथ व्यवहार किया जाता था, हर आदमी पहले मनुस्मृति या रामचरितमानस पढ़कर ही जातिवाद और छूआछात में यकीन करता होगा? पहले तो पूरा समाज ही लगभग अनपढ़ था फिर पूरे देश में ये जहर बिना पढ़े लिखे ही कैसे फैल गया? लेकिन, सच तो यही है कि किसी ने तो ये सब पढ़कर जातिवाद का जहर फैलाया ही होगा, अपने आप तो फैला नही होगा कि सुबह उठे और पूरे देश में ये जहर फैल गया.

विरोध में शक्ति होती है, विरोध करने के लिए भी सबके लिए पहले पढ़ने की जरूरत नही है, बस किस-किस की बातों पर यकीन करके विरोध कर रहे हैं, ये सबसे ज्यादा जरूरी है. बाबासाहेब और मान्यवर साहेब जैसे लोगों पर हमने भरोसा किया क्योंकि यकीन था, क्या हमने उनकी लिखी बातों को चैक करने की कोशिश की कि कहीं उन्होने गलत तो नही लिख दिया. विरोध करने वालों के साथ खड़ा होने से एक फायदा ये है कि इस प्रतिकार से जातिवादी लोगों में जातिवाद के खिलाफ संगठित सोच से खौफ पैदा होगा और जो अच्छे लोग हैं जो अच्छा-बुरा समझते हैं वो जातिवादी सोच पर मनन करना शुरू कर देंगे और पीड़ितों शोषितों का दर्द भी बेहतर तरीके से समझेंगे.

विरोध करने में और किसी जाति या साम्प्रदाय विशेष के प्रति जहर फैलाने में बहुत अंतर होता है, बस उस अंतर को समझकर चलना होगा और वो अंतर एक को मान्यवर बनाता है और दूसरे को किसी मेश्राम बनाता है.

(लेखक: एन दिलबाग सिंह; ये लेखक के अपने विचार हैं)

Download Suchak App

खबरें अभी और भी हैं...

Opinion: समाजिक परिवर्तन के साहेब – मान्यवर कांशीराम

भारतीय समाज सहस्राब्दी से वर्ण व्यवस्था में बंटा है. लिखित इतिहास का कोई पन्ना उठा लें, आपको वर्ण मिल जायेगा. ‌चाहे वह वेद-पुराण हो...

एससी, एसटी और ओबीसी का उपवर्गीकरण- दस मिथकों का खुलासा

मिथक 1: उपवर्गीकरण केवल तभी लागू हो सकता है जब क्रीमी लेयर लागू हो उपवर्गीकरण और क्रीमी लेयर दो अलग अवधारणाएँ हैं. एक समूह स्तर...

कर्नाटक में दलित आरक्षण का 6:6:5 फॉर्मूला तय; जानिए किसे कितना मिला आरक्षण?

बेंगलुरु: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने मंगलवार रात लंबी कैबिनेट बैठक में अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 17% आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटने...

स्वतंत्र बहुजन राजनीति बनाम परतंत्र बहुजन राजनीति: प्रो विवेक कुमार

"स्वतंत्र बहुजन राजनीति" और "परतंत्र बहुजन राजनीति" पर प्रो विवेक कुमार का यह लेख भारत में दलित नेतृत्व की अनकही कहानी को उजागर करता...

गौतम बुद्ध, आत्मा और AI: चेतना की नयी बहस में भारत की पुरानी भूल

भारत की सबसे बड़ी और पुरानी समस्या पर एक नयी रोशनी पड़ने लगी है। तकनीकी विकास की मदद से अब एक नयी मशाल जल...

आषाढ़ी पूर्णिमा: गौतम बुद्ध का पहला धम्म उपदेश

आषाढ़ी पूर्णिमा का मानव जगत के लिए ऐतिहासिक महत्व है. लगभग छब्बीस सौ साल पहले और 528 ईसा पूर्व 35 साल की उम्र में...

बाबू जगजीवन और बाबासाहेब डॉ अम्बेड़कर: भारतीय दलित राजनीति के दो बड़े चेहरे

बाबू जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल, 1908 में हुआ था और बाबासाहब डॉ. अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 में. दोनों में 17...

सामाजिक परिवर्तन दिवस: न्याय – समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व का युगप्रवर्तक प्रभात

भारतीय समाज की विषमतावादी व्यवस्था, जो सदियों से अन्याय और उत्पीड़न की गहन अंधकारमयी खाइयों में जकड़ी रही, उसमें दलित समाज की करुण पुकार...

धर्मांतरण का संनाद: दलित समाज की सुरक्षा और शक्ति

भारतीय समाज की गहन खोज एक मार्मिक सत्य को उद्घाटित करती है, मानो समय की गहराइयों से एक करुण पुकार उभरती हो—दलित समुदाय, जो...

‘Pay Back to Society’ के नाम पर छले जाते लोग: सामाजिक सेवा या सुनियोजित छल?

“Pay Back to Society” — यह नारा सुनने में जितना प्रेरणादायक लगता है, व्यवहार में उतना ही विवादास्पद होता जा रहा है। मूलतः यह...

प्रतिभा और शून्यता: चालबाज़ी का अभाव

प्रतिभा का वास्तविक स्वरूप क्या है? क्या वह किसी आडंबर या छल-कपट में लिपटी होती है? क्या उसे अपने अस्तित्व को सिद्ध करने के...

सतीश चंद्र मिश्रा: बहुजन आंदोलन का एक निष्ठावान सिपाही

बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और कानूनी सलाहकार सतीश चंद्र मिश्रा पर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं। कुछ लोग उनके बीएसपी के प्रति...