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Monday, September 16, 2024

Opinion: महिला सुरक्षा की आड़ में दलितों को दफ़न करने की नापाक साज़िश

सवर्ण महिला के साथ बलात्कार होने पर यह एक राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया जाता है। अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मीडिया चैनल और अखबार लगातार अपडेट जारी करते हैं लेकिन दलित महिला के साथ इससे भी भयानक अत्याचार होने के बाद भी सब कुछ ऐसा चलता रहता है जैसे कुछ हुआ ही ना हो?

कोलकाता में जो कुछ हुआ बहुत गलत हुआ है। यह अमानवीय जघन्य कृत्य हैं। यह कोलकाता का ही मामला नहीं है बल्कि पूरे देश में महिला सुरक्षा एक चुनौती बन चुकी है। क्या भाजपा, क्या कांग्रेस, क्या अन्य तथाकथित सेकुलर दलों की सरकार! महिला सुरक्षा के मसलें पर सब फेल हैं।

कांग्रेस का प्रदर्शन महिला सुरक्षा के नाम पर देश को गुमराह करना है क्योंकि कोलकाता में कांग्रेस की एलांयस में शामिल टीएमसी की सरकार है। हद तब हो गई जब सरकार की मुखिया ममता बनर्जी खुद रोड पर आ गई। अरे भाई, सरकार तुम्हारी है, पुलिस प्रशासन तुम्हारा है। तुम सड़क पर किसके खिलाफ नौटंकी करने गई थी। कहीं तुम कोलकाता बलात्कार काण्ड का जिम्मेदार अमरीका को तो नहीं मानती हो?

फिलहाल, इस पूरे प्रकरण में मजाल है कि किसी कांग्रेसी, सपाई, आपाई के मुंह से कुछ निकल जाय। यह सब अपने – अपने वोटर साधने में लिप्त हैं। मीडिया एक तय एजेंडे के तहत मसाला परोस रही है और जनता को तो खूब मज़ा आ रहा है, खासकर एससी-एसटी और ओबीसी को।

अब सीबीआई जांच कर रही है। उम्मीद करते हैं कि असली गुनहगारों को सलाखों के पीछे पहुंचा देगी। महत्वपूर्ण सवाल यह है कि जब सीबीआई जांच कर रही है तो रोज धरना, प्रदर्शन, कैंडल मार्च की क्या जरूरत है? क्या बहुजन समाज सवर्णों द्वारा सुनियोजित ढंग से आयोजित इस षड्यंत्र‌ समझ पा रहा है? क्या दलित समाज ने कभी सोचा कि निर्भया और अभया प्रदर्शन हमेशा सवर्ण महिला बलात्कार में ही क्यों होता है?

अभी हाल में ही फ़र्रूख़ाबाद में दो दलित बच्चियों के साथ अपराध हुआ, उनकी लाश पेड़ पर लटकी हुई मिली, क्या इन दलित बच्चियों के लिए किसी मुख्यधारा मीडिया आदि ने फ्रंट पेज न्यूज बनाया? क्या इस प्रकरण में सीबीआई जांच होगी? क्या कभी किसी दलित महिला या बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के संदर्भ में कभी निर्भया/अभया प्रदर्शन हुआ है? यदि नहीं तो क्यों?

सोचिए, सवर्ण महिला के साथ बलात्कार होने पर यह एक राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया जाता है। अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मीडिया चैनल और अखबार लगातार अपडेट जारी करते हैं लेकिन दलित महिला के साथ इससे भी भयानक अत्याचार होने के बाद भी सब कुछ ऐसा चलता रहता है जैसे कुछ हुआ ही ना हो?

यह सब इसलिए है क्योंकि भारतीय मनुवादी सामाजिक व्यवस्था में दलितों के साथ जघन्यतम अपराध भी स्वीकार्य है और सवर्णों को खरोंच भी लगें तो संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक, राज्यपालों से लेकर राष्ट्रपति भवन तक की दीवारों में कम्पन होने लगती है। अब ऐसा क्यों होता है, यह दलितों को सोचने व समझने की नितांत आवश्यकता है।

फिलहाल महत्वपूर्ण बात यह है कि 21 अगस्त 2024 के भारत बंद को भारत की बसपा जैसी बड़ी और राष्ट्रीय पार्टी ने लीड किया इसके बावजूद अगले दिन के भारत में बड़े अखबारों के फ्रंट पेज पर भारत बंद ग़ायब रहा। भारत के मुख्यधारा के टीवी चैनलों में इस भारत बंद को राष्ट्र विरोधी बताया जा रहा था। क्या इस स्वतंत्र भारत में दलित अपनी आवाज़ भी नहीं उठा सकता है? देश अपने हित में यह सोचना होगा कि ऐसी कोई मानसिक बीमारी भारत को अपने आगोश में समेटे हुए है कि कोलकाता बलात्कार काण्ड भारत के करोड़ों दलितों आदिवासियों के भविष्य पर भी भारी पड़ गया?

सवाल तो बनता है कि सवर्णों को खरोंच भी आयें तो राष्ट्रीय मुद्दा और दलितों के साथ हर पल बलात्कार, हत्या, अत्याचार आदि लगातार हो रहा है, सदियों से हो रहा है लेकिन इनको लेकर सरकार, सुप्रीम कोर्ट, राज्यपाल और राष्ट्रपति तक के कान में जूं तक नहीं रेंगती है। इनके ‘कानों में जूं तक ना रेंगना’ दलितों पर स्टेट द्वारा किया गया भंयकर अत्याचार है। राष्ट्र द्वारा दलितों और आदिवासियों पर किया गया जघन्यतम अपराध है। क्या दलित इन सब बातों को समझ पा रहे हैं या फिर इनकी समझ कभी कांग्रेस जिताओं, कभी भाजपा हराओं के नकारात्मक एजेंडे तक ही सीमित है या फिर कांग्रेस भाजपा सपा आप टीएमसी आदि की चमचागीरी करने हेतु ही है?

फिलहाल, अब तक के कोलकाता बलात्कार काण्ड प्रकरण को देखते हुए यह स्पष्ट है कि यदि सीबीआई जांच के बावजूद इस मसलें को प्रतिदिन हर चैनल, अखबार पर, सरकारी महकमों सहित तथाकथित सिविल सोसायटी आदि इसको चर्चा के केन्द्र में रखें हुए है तो इसका सिर्फ और सिर्फ एक ही उद्देश्य है कि एससी-एसटी आरक्षण के संदर्भ मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 अगस्त 2024 को दिए गए निर्णय के संदर्भ में दलितों और आदिवासियों की आवाज को दबाना, 21 अगस्त 2024 भारत बंद को असफल करना।

स्पष्ट है कि 21 अगस्त 2024 के अनुशासित व सफल भारत बंद के बावजूद कोलकाता बलात्कार काण्ड को हवा देकर करोड़ों दलितों आदिवासियों के अधिकारों को दफ़न किया जा रहा है। माहौल को देखकर निःसंदेह यह कहा जा सकता है कि दलित विरोधी अपने मकसद में सफ़ल हो रहें हैं क्योंकि मीडिया और आम जनता में भी आरक्षण संबंधी दलितों का मुद्दा लगभग दबाया जा चुका है। इस मुद्दे से इतर लोगों को कोलकाता बलात्कार काण्ड की सनसनीखेज न्यूज में मज़ा आ रहा है।

अब बहुजन समाज को समझने की जरूरत है कि दलितों आदिवासियों के आरक्षण संबंधी मुद्दों को दबाने के लिए ही कांग्रेस, भाजपा, सपा, आप, टीएमसी आदि कोलकाता बलात्कार काण्ड को हवा दे रहे हैं। इससे भी महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या अब भी इतने बड़े दलित आदिवासी विरोधी षड्यंत्र को बहुजन समाज समझ पा रहा है? क्या बहुजन समाज कांग्रेस भाजपा सपा आप टीएमसी आदि दलों की दलित आदिवासी विरोधी नियत को समझ पा रहा है? यदि नहीं तो आगे दलितों आदिवासियों और पिछड़ों पर अत्याचार होता है तो इसका जिम्मेदार यह समाज खुद होगा।


— लेखक —
(इन्द्रा साहेब – ‘A-LEF Series- 1 मान्यवर कांशीराम साहेब संगठन सिद्धांत एवं सूत्र’ और ‘A-LEF Series-2 राष्ट्र निर्माण की ओर (लेख संग्रह) भाग-1′ एवं ‘A-LEF Series-3 भाग-2‘ के लेखक हैं.)


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