आपकी अंतरात्मा को झकझोर देने वाला ये वाक्या 1985 में हुए बिजनौर (उत्तर प्रदेश) उपचुनाव का है, हुआ यूं कि कुमारी मायावती बिजनौर उपचुनाव से बीएसपी की उम्मीदवार थीं. लेकिन पैसे की कमी भी बहुत ज्यादा चल रही थी.
ऐन. टी. घोरमोडे उस भयानक दौर को आंखों में आंसू लेकर याद करते हैं और बताते हैं कि एक दिन रात का समय था. कार्यकर्ता, साहेब के आसपास बैठे थे लंगर की कोई व्यवस्था नहीं थी.
साहेब- ने बहुत दुखी मन से अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि आज मेरी जेब में एक भी पैसा नहीं है. आप जाओ किसी ढाबे पर खाना खा लिजिए ओर जिस दिन मेरे पास पैसा होगा, मैं उनको दे दूंगा. इसके बाद साहेब ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संदेश में कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो सीधे तौर पर हमारे दुश्मनों को फ़ायदा होगा. अगर एक-दो दिन में पैसे का इंतजाम नहीं किया तो मैं आंदोलन छोड़ दूंगा.
साहेब की बातों का कार्यकर्ताओं पर इतना असर हुआ कि काफी हद तक पैसों की भरपाई हो गई. कुमारी मायावती मीरा कुमार को कड़ी टक्कर देने में सफल रही. इसका मतलब है कि कुमारी मायावती 63000 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं.
जब के राम विलास पासवान तीसरे स्थान पर पहुंच गए. मीरा कुमार के उपचुनाव जीतने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मीरा कुमार के पिता जगजीवन राम को बुला कर अपमान किया और कहा कि अगर आपके पास व्यक्तित्व होता तो कांग्रेस को आपकी बेटी को जिताने के लिए इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती.
(स्रोत: मैं कांशीराम बोल रहा हूँ का अंश; लेखक: पम्मी लालोमजारा, किताब के लिए संपर्क करें: 95011 43755)