बैरवा,जाटव,रैगर,कोली,खटीक सबके न्यारे न्यारे ठाठ।
कभी नहीं पढ सकते हैंये एकता का पाठ।।
मेहनती हैं सारे मेहनत करके खाते हैं।
पर राजनीति में तो ये आज भी...
मज़दूर हुए मजबूर
मैं मुर्दों की बस्ती में हूँया ज़ुबाँ पर सबके ताले हैं।मज़दूर आज मजबूर हुआचुप बैठे रखवाले हैं॥
अव्यवस्था के शिकार हुएलाखों गरीब मज़दूर...