मैं शाहीन बाग हूँ
रो रहा है लाल किला,ताजमहल विरान है।सिसक रही है बुद्ध की धरती,दुःखी अम्बेडकर संविधान है।मैं इसकी गवाह हूँ,मैं बुद्ध-अशोक-अम्बेडकर की आवाज...
बुद्धमय भारत रहा,फली-फूली समृद्धि जिहमैं,सुख शांति औ मानवता कै ज्ञान।हड़प्पा मोहनजोदड़ो कहत,तक्षशिला-नालंदा करत है जिनका गुनगान।।
फिर मनुष्य आवा भारत में,कै षड्यंत्र बांट दिया मानव...
बोतल महँगी है तो क्या,थैली बहुत ही सस्ती है।ये दलितों की बस्ती है।।
ब्रह्मा विष्णु इनके घर में,क़दम-क़दम पर जय श्रीराम।रात जगाते शेरोंवाली की…करते कथा...