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Saturday, April 19, 2025

कविता: ऐसी थी बहना की सरकार

चहुँ ओर थी शांति,
सब थे खुशहाल,
गुंडे काँपे थर-थर,
थी जब बहना की सरकार।

ईख की कीमत हुई थी दोगुनी,
किसानों ने देखा था चमत्कार,
वजीफ़ा सबको मिलने लगा,
स्कूल हो उठा गुंजायमान,
थी जब बहना की सरकार।

भागीदारी मिली पिछड़ों को,
गरीबों का शुरू हुआ उत्थान,
रोजगार मिला बच्चों को,
खुशहाली आयी घर-घर,
थी जब बहना की सरकार।

पट्टे बाँट खेतिहर मजदूरों को,
बना दिया उनको किसान,
हाथ जोड़ मिला प्रशासन,
जनता हुई सर्वशक्तिमान,
थी जब बहना की सरकार।

गाँव की गलियां,
खेतों की पगडंडियां,
शहर की सड़कें,
हुई थी पक्की
निर्माण हुआ एक्सप्रेससवे का,
गढ़ दिया नया कीर्तिमान,
थी जब बहना की सरकार।

अभियांत्रिकी, चिकित्सा की हुई उन्नति,
कृषि संग शिक्षा संस्थानों की भरमार,
नोएडा-गाज़ियाबाद-लखनऊ को मिली मेट्रों,
जिले बने महानायकों के नाम,
स्मारक बना, दिया उनको सम्मान,
थी जब बहना की सरकार।

बुद्धा सर्किट विश्वविख्यात,
इकना स्टेडियम का ख़ाका खींच,
विकास में जोड़ दिया नया अध्याय,
चल पड़ी प्रगति की गाड़ी,
आगाज़ हुआ राष्ट्रनिर्माण का,
ऐसी थी बहना की सरकार।

जाती-पाँति भेदभाव से दूर,
तरक्की की चली बयार,
खुशियों के बादल आएं,
होने लगी सुख-हर्ष वर्षा,
ऐसी थी बहना की अद्भुद सरकार।
ऐसी थी बहना की अद्भुद सरकार।।


— लेखक —
(इन्द्रा साहेब – ‘A-LEF Series- 1 मान्यवर कांशीराम साहेब संगठन सिद्धांत एवं सूत्र’ और ‘A-LEF Series-2 राष्ट्र निर्माण की ओर (लेख संग्रह) भाग-1′ एवं ‘A-LEF Series-3 भाग-2‘ के लेखक हैं.)


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