24 मार्च 1986 को ‘बहुजन संगठन‘ में लिखे एक लेख में साहिब ने खुलासा किया था कि जनवरी (पहले सप्ताह) 1983 में होशियारपुर (रोशन ग्राउंड के पास मॉडल टाउन क्लब) में एक उच्च स्तरीय पांच दिवसीय प्रशिक्षण कैडर कैंप लगाया गया था, जिसमें मैंने कहा था कि 40 बामसेफ कार्यकर्ता पेश करो कि मेरे इशारे पर काम करोगे तो पंजाब की धरती पर बिना अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के परामर्श के कोई भी पार्टी शासन नहीं कर सकती.
15 जनवरी 1983 से केवल 6 सप्ताह के लिए मेरे निर्देशों का पालन किया. पंजाब के ‘पोनी टाइप‘ नेत्रत्व, जिसे मैंने डिजाइन किया था, उसने न केवल मेरे व्यक्तित्व और नेत्रत्व को धोखा दिया, बल्कि अक्टूबर 1983 से सितंबर 1985 तक की मेरी 16 महीने की मेहनत को भी बेरहमी से बर्बाद कर दिया.
पंजाब के सीन से खुद को अलग कर लिया उसके बाद, मेरा मतलब है 16 महीने बाद, मैं सितंबर 1985 को नवांशहर, बंगा और बालाचौर निर्वाचन क्षेत्रों में चुनावी सभाओं को संबोधित करने गया था. बसपा को मिले 2.2% वोट जब कांग्रेस 60 से 32 सीट पर आ गई. इन चुनावों में कांग्रेस को 37.80% और अकाली को 38.54% वोट मिले. अकाली ने कांग्रेस से 0.74% ज्यादा वोट प्रतिशत (32 सीट जीती) 37 सीट हासिल कर सरकार बनाई. पंजाब का नेतृत्व मेरे हिसाब से काम करता तो परिणाम और भी चमत्कारिक होते.
ये बिल्कुल सच है साहब, चंडीगढ़ लीडरशिप से इतना परेशान था कि 16 महीने पंजाब की धरती पर पैर भी नहीं रखा. 1985 विधानसभा चुनाव में स्व. राजा राम सियान के निमंत्रण पर तीन विधानसभा सीटों पर जन-जन ने अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालकर संबोधित किया. पंजाब के दिन के सफर पर गुरदेव भारती के गाँव बहारोवाल (बांगा के पास) रात को इस शर्त पर पहुचे की अपनी चुनावी सभा में मैं बामसेफ के खिलाफ जो भी बोलूंगा, बामसेफ की जनता बुरा नहीं मानेगी.
आखिर ऐसा ही हुआ. रात को साहब के सामने बामसेफ के लोगों के विरोध के बावजूद साहब ने चंडीगढ़ में बैठे बामसेफ की क्रीम लीडरशिप के खिलाफ जाहिर किया दिल का गुस्सा. बामसेफ के निम्नलिखित कार्यकर्ता इस कैडर में भाग लिया जिसमे स: तेजिंदर सिंह झल्ली, राजा राम सियान, अमृत लाल गांगर, मोहन लाल सुभाष नगर, रतन चंद बांगर, सुरिंदर सिंह जे शामिल थे. ई. दर्शन चुम्बर, हुसैन चंद हीर, हुसैन लाल भरोली, निर्मल सिंह, महिंदर सिंह हीर, केवल सिंह हीर (सेरपुर ग्रिड), मास्टर करम चंद, प्यारा सिंह चोपड़ा (गांव बुलेट), कुलदीप और लाल चंद भट्टी मौजूद थे.
लाल चंद भट्टी साहब के अनुसार इस कैडर में भविष्यवाणी करते हुए जो भी मेरे प्यारे इस कैडर में बैठे हैं वही भविष्य में मेरे मार्ग पर हैं. साहिब के ऊपर के शब्द सुनकर सभी साथी अपनी जुबान पर शर्मनाक बोलने लगे. साहिब की भविष्यवाणी शत प्रतिशत सही साबित हुई जब 1984 के अंत में साहिब और बमसफ के संबंधों ने दोनों के बीच लंबी दूरी बना दी.
(स्रोत: मैं कांशीराम बोल रहा हूँ का अंश; लेखक: पम्मी लालोमजारा, किताब के लिए संपर्क करें: 95011 43755)