12.1 C
New Delhi
Saturday, December 21, 2024

कविता: भीम राह – बाबासाहेब के विचारों और अछुतों की स्थिति को बयां करती एक शानदार कविता

इस कविता "भीम राह" में बाबासाहेब के विचारों और उनके द्वारा किए गए कामों के जरिए अछूतों की स्थिति में आया सुधार और भूतकाल का जिक्र बेहद ही शानदार और मार्मिक ढंग से किया गया है. आप भी पढ़िए और सुनिए कविता "भीम राह..."

— भीम राह —

पशु को गोद खिलाने वाले,
मुझको छूने से बचते थे।
मेरी छाया पड़ जाने पर,
‘गोमूत्र का छीँटा’ लेते थे।।

पथ पर पदचिह्न न शेष रहे
झाडू बाँध निकलना होता था।
धरती पर थूक न गिर जाये,
गले हांडी रखना होता था।।

जान हथेली पर रखकर,
मैं गहरे कुआँ खोदता था।
चाहे प्यासा ही मर जाऊँ,
कूपजगत न चढ सकता था।।

मलमूत्र इकट्ठा करके मैं,
सिर पर ढोकर ले जाता था।
फिकी हुई बासी रोटी,
बदले में उसके पाता था।।

मन्दिर मैं खूब बनाता था,
जा सकता चौखट पार नहीं।
मूरत गढता मैं ठोक-ठोक कर,
था पूजा का अधिकार नहीँ।।
अनचाहे भी यदि वेदपाठ,
कहीं कान मेरे सुन लेते थे।
तो मुझे पकड़कर कानों में,
पिघला सीसा भर देते थे।।

गर वेदशब्द निकला मुख से
तो जीभ कटानी पड़ जाती थी।
वेद मंत्र यदि याद किया,
तो जान गँवानी पड़ जाती थी।।

था बेशक मेरा मनुष्य रूप,
जीवन बदतर था पशुओं से।
खा ठोकर होकर अपमानित,
मन को धोता था रोज आँसुओं से।
फुले पैरियार ललई और साहू,
ने मुझे झिँझोड जगाया था।
संविधान के निर्माता ने,
इक मार्ग नया दिखाया था।।

उसी मार्ग पर मजबूती से,
आगे को कदम बढाया है।
होकर के शिक्षित और सजग,
खोया निज गौरव पाया है।।

स्वाभिमान जग जाने से,
स्थिति बदलती जाती है।
मंजिल जो दूर दीखती थी,
लग रहा निकट अब आती है।
दर से जो दूर भगाते थे,
दर आकर वोट माँगते हैँ।
छाया से परे भागते थे,
वो आज मेरे चरण लागते हैँ।।

वो आज मुझसे पढने आते हैं,
जो मुझे न पढने देते थे।
अब पानी लेकर रहे खडे,
तब कुआँ न चढने देते थे।।

“बाबा” तेरे उपकारो को,
मैँ कभी भुला ना पाऊँगा।
“भीम” जो राह दिखायी है,
उस पर ही बढता जाऊँगा।।

Download Suchak App

खबरें अभी और भी हैं...

किस्सा कांशीराम का #16: एक वोट और एक नोट की कहानी

1988 में इलाहबाद संसदीय सीट का उपचुनाव हुआ. वहां से मान्यवर साहब ने अपना नामांकन भरा. जहाँ एक तरफ कांग्रेस पार्टी मैदान में थी...

फूलन देवी की कहानी कविता की जुबानी: नारी गौरव फूलन बौद्ध को सादर नमन

फूलन देवी के शहादत दिवस पर कवि बुद्ध प्रकाश बौद्ध जी ने अपनी कविता के माध्यम से फूलन देवी को नमन किया है. उनकी...

जयंति विशेष: कबीर जैसा कोई नहीं…

कबीर का मार्ग 'कागद की लिखी' का मार्ग नहीं है. यह तो 'आंखन की देखी' का मार्ग है. कागद की लिखी में उलझे रहने...

व्यंग्य: पत्रकारिता की नई धार

आजकल पत्रकारिता का स्तर यहां तक गिर गया है कि कोई पत्रकार टॉयलेट में घुस जाता है तो कोई वाशरूम में घुस जाता है. शुक्र...

Free Download Books & Writings of Dr Babasaheb Ambedkar in PDF All Volumes – अम्बेड़कर संपूर्ण वाङ्मय

Writings & Speeches of Dr Ambedkar: विश्व रत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर, आधुनिक भारत के निर्माता, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत का संविधान...

विश्व पुस्तक दिवस विशेष: मूरत का ज्ञात चाहिए या किताब का अज्ञात?

World Book Day: आज विश्व पुस्तक दिवस है . यह दिवस पुस्तकों के लिए नहीं है ताकि वे विश्व को पा सकें, बल्कि विश्व...

Ambedkarnama: मेरे दर्शन की जड़ें धम्म में हैं, न कि राजनीति में…

Ambedkarnama: बाबासाहब कहते है "निश्चित रूप से मेरा सामाजिक दर्शन तीन तत्वों पर आधारित है - स्वतंत्रता (Liberty), समानता, (Equality) और बंधुत्व (Fraternity). किसी...

Ambedkarnama #03: गुलाम को गुलामी का एहसास करा दो तो वह विद्रोह कर उठेगा, बाबासाहेब ने ऐसा क्यों कहा था?

Ambedkarnama: इंसान की बुनियादी आवश्यकताएं रोटी, कपड़ा और मकान ही नहीं बल्कि कुछ और भी हैं. यदि रोटी, कपड़ा और मकान ही इंसान की...

किस्सा कांशीराम का #15: मैं सिक्योरिटी इसलिए नहीं रखता क्योंकि मैं मरना नहीं चाहता

Kissa Kanshiram Ka 15: बात 1978 की है जब मान्यवर साहेब कांशीराम लुधियाना में स्थित भगवान वाल्मीकि धर्मशाला में कैडर कैम्प लगाने के लिए...

किस्सा कांशीराम का #14: यदि सब चमार नौकर बनकर सरकार की सेवा में ही लगे रहे तो अपने समाज की सेवा कौन करेगा?

किस्सा कांशीराम का: बात 1975 की है. मान्यवर साहेब कांशीराम के एक साथी थे, शिव धीर, जो दिल्ली परिवहन में बस कैंडेक्टर थे. उन...

घर में लगे चित्र से चरित्र का बोध होता है

एक बार गर्मी की छुट्टी में एक आदमी अपनी जीवनसंगिनी एवं बच्चे के साथ शहर से घर जा रहा था. बस से उतरने के...

Ambedkar Jayanti 2024 Quotes: बाबासाहेब अम्बेड़कर जयंति पर पढ़िए उनके क्रांतिकारी विचार जो बदल देंगे आपकी सोच

Ambedkar Jayanti 2024 Quotes: बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेड़कर जी जिन्हे आज प्यार और सम्मान से लोग विश्व रत्न, संविधान निर्माता, बोधिसत्व और भी ना...