बहुजन हुंकार उठी क्षितिज से,
गूंज उठा नील गगन।
सत्ता सिंहासन से बात बनेगी,
संकल्प लिया हर बहुजन।।
बुद्ध रैदास कबीर का ज्ञान अपार,
काशी बहना ने किया खूब प्रचार।
कोने-कोने में अम्बेडकर पहुंचे,
हुआ क्रांति का प्रचण्ड आगाज़।।
सामाजिक परिवर्तन की अग्नि जलेगी,
आर्थिक मुक्ति संग स्वतंत्रता मिलेगी।
अब देश में फिर मुस्कान जगेगी,
भारत उपवन की हर कली खिलेगी।।
बहना का नेतृत्व, हाथी निशान,
काशी का संकल्प, बसपा पहचान।
अम्बेडकर सपना, भारत प्राण,
अब जान चुका है देश महान।।