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Sunday, April 20, 2025

कविता: बदल दिया सदियों का इतिहास; इंद्रा साहेब की कविता

बुद्ध रैदास कबीर की वाणी,
फूले शाहू अम्बेडकर नाम,
किया संघर्ष जीवन भर,
लाये लंदन से हक़ अधिकार।

मनु ने लगाई प्राण की बाजी,
त्याग दिया अन्न व जलपान,
किया मजबूर बाबासाहेब को,
छीन लिया पृथक पहचान।
बाबा ने किया करार पूना का,
मनु को दे दिया जीवनदान,
निकल पूना से आगे आया,
आधुनिक आरक्षण का प्रावधान।

सन सैंतालिस में मिली आजादी,
शुरू हुआ संविधान का निर्माण,
अब आरक्षण को भी छीनने हेतु,
आगे बढ़े मनु की औलाद,
पर धीर गम्भीर निडर साहसी,
डटे रहे बाबा विद् वीर महान।

बाबा में विद्वता थी, था उनका तर्क महान,
ऐसे में फिर औंधे मुंह गिरे मनु की सब संतान।
इस प्रकार बाबा के बल से संविधान के मूल में,
शामिल हुआ आरक्षण का प्रावधान।
फिर बाबासाहेब ने देश को बतलाया,
आरक्षण मतलब स्व-प्रतिनिधित्व,
व समुचित भागीदारी का विज्ञान।

अब ओबीसी को चिन्हित कर,
देना था सत्ता में हक अधिकार,
पर मनु नहीं चाहता, किनारे करता बारम्बार,
बाबासाहेब ने हिन्दू बिल, ओबीसी को लेकर,
लिख डाला राजीनामा, छोड़ दिया सरकार,
चलता रहा बाबा का कारवां, अंगीकार कर धम्म महान,
शूद्रों वंचितों को दे दी उनकी असल पहचान।

कुदरत की मंशा थी,
हुआ बाबासाहेब का महापरिनिर्वाण
कारवां की गति मंद पड़ी ही थी,
कि फिर आये मान्यवर साहेब कांशीराम,
बहनजी सरीखी प्रतिभा खोजी,
खड़ा कर दिया संगठन विशाल,
बाबासाहेब के बच्चे दोनों,
दोनों की ये अद्भुत जोड़ी,
नाप दिया भारत भूमि महान,
खोजे सब संत गुरु,
खोज दिया बिरसा झलकारी पेरियार।

बना बामसेफ, डीएस-4
किया बसपा का निर्माण
शुरू हुई मुहिम राजनीति की
बदल दिया सदियों का इतिहास।


— लेखक —
(इन्द्रा साहेब – ‘A-LEF Series- 1 मान्यवर कांशीराम साहेब संगठन सिद्धांत एवं सूत्र’ और ‘A-LEF Series-2 राष्ट्र निर्माण की ओर (लेख संग्रह) भाग-1′ एवं ‘A-LEF Series-3 भाग-2‘ के लेखक हैं.)


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