ब्रिटेन की जनसंख्या 6.7 करोड़ है यहां की संसद में 1417 मेंबर है जिनमें से 767 हाउस ऑफ लॉर्ड्स और 650 हाउस ऑफ कॉमन के सदस्य हैं. वर्तमान में यहां प्राइम मिनिस्टर का चुनाव हो रहा है. कंजरवेटिव पार्टी के बोरिस जॉनसन जो कि वर्तमान प्रधानमंत्री हैं के खिलाफ कैबिनेट के अनेक सदस्यों द्वारा त्यागपत्र देने के कारण नए प्रधानमंत्री का चुनाव हो रहा है.
वर्तमान चुनाव प्रक्रिया बहुत ही रोचक तथा अनुकरणीय है 358 कंजरवेटिव सदस्यों में से कोई भी सदस्य जिसके पास 20 अन्य एमपी का समर्थन प्राप्त है प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल हो सकता है इस प्रक्रिया को अपनाते हुए लगभग 11 लोगों ने अपने आप को प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल किया. क्योंकि यह कंजरवेटिव पार्टी का अपना आंतरिक चुनाव है और उनके पास 650 सदस्यों वाले हाउस ऑफ कॉमंस में 358 सदस्य का बहुमत हैं. इसलिए ये 358 सदस्य ही होने वाले प्रधानमंत्री के चुनाव के प्रथम दौर के उम्मीदवारों को चुनेंगे.
वर्तमान चुनाव में 8 उम्मीदवार प्रधानमंत्री पद की रेस में थे. यह आंतरिक चुनाव प्रक्रिया जो कि गुप्त मतदान के द्वारा होती है तब तक चलती रहेगी तब तक कि अन्तिम दो कैंडिडेट्स नहीं रह जाते.
कल इंग्लैंड में इस चुनावी प्रक्रिया के पहले दौर की समाप्ति हुई और अंततः ऋषि सुनक और लिज ट्रस दो उम्मीदवार अंतिम दौर में रह गए. अब प्रधानमंत्री पद के इन दोनो दावेदारों के बीच अंतिम चुनाव होगा. इस चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी के देश भर में लगभग पौने दो लाख प्राथमिक सदस्य पोस्टल बैलट से भावी प्रधानमंत्री का चुनाव करेंगे. बिना किसी हड़बड़ी या जल्दबाजी के लगभग दो महीने इस प्रक्रिया को पूरा होने में लगेंगे.
यह चुनावी प्रक्रिया 5 सितंबर 2022 को पूरी होगी, 4 सितंबर तक प्रधानमंत्री पद के दोनों उम्मीदवार कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों को अपनी विचारधारा, प्राथमिकताएं, कार्यप्रणाली एवं घोषणाओं से अपने पक्ष में मतदान कराने के लिए प्रेरित करेंगे. इस प्रचार एवं संबोधनों को इंग्लैंड में हस्टिंगस कहा जाता है.
5 सितंबर को अंतिम चुनाव परिणाम की घोषणा की जाएगी इस पूरी प्रक्रिया में बहुत ही लोकतांत्रिक तरीके से दल के अंदर किसी भी सदस्य को इंग्लैंड का प्रधानमंत्री बनने की अवसर उपलब्ध है यह एक परिपक्व लोकतांत्रिक शासन प्रणाली का उत्कृष्ट उदाहरण है. दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है 6.7 करोड़ ब्रिटिश जनसंख्या के लिए 650 लोकसभा के सदस्य हैं यह प्रतिनिधित्व का बहुत ही स्वस्थ सार्थक मापदंड है. लगभग 100,000 लोगों पर एक चुना हुआ सांसद, तथा 767 लॉर्ड सांसद. कुल मिलाकर लगभग 47000 नागरिकों पर एक सांसद है ब्रिटेन में.
वर्तमान में भारत में यह संख्या लगभग 26 लाख प्रति लोकसभा सांसद और 20 लाख दोनों सदन सदस्य मिलाकर है. कहीं-कहीं तो यह संख्या 50 लाख तक पहुंचने वाली है. दिल्ली में 3 करोड़ 22 लाख नागरिकों पर सिर्फ 7 लोकसभा सांसद हैं. इतनी बड़ी संख्या में नागरिकों का प्रतिनिधित्व करना किसी भी एक व्यक्ति के लिए असंभव है.
संविधान में सामान्यत प्रति दस लाख नागरिकों पर एक सांसद का प्रावधान है लेकिन 1976 से आज तक सांसद संख्या बढ़ाने पर रोक लगी हुई है. 2026 में इस पर पुनर्विचार की संभावना है. पांच दशकों से सांसद संख्या न बढ़ाकर लोगों की प्रतिनिधि आवाज को दबाया जा रहा है. इस राजनैतिक अपराध को भारत की सभी शासक जातियां सभी दलों की आपसी सहमति से निरंतर करती आ रही है.
(लेखक – प्रो. राजकुमार, यह लेखक के निजी विचार हैं)