भारत में विसर्जन की संस्कृति के तहत हुए अत्याचारों के तहत दलित, पिछड़े एवं आदिवासी समाज की छवि को हमेशा गरीबी, लाचारी व बदहाली के तौर पर ही हमेशा परोसा गया है। उसकी उपलब्धियों को या तो नजरंदाज कर दिया जाता है या फिर दबा दिया जाता है।
समतावादी समाज सृजन हेतु शोषण के विरुद्ध आवाज आन्दोलन की शुरुआत जरूर हो सकती है परन्तु समाज की सकारात्मक व नवीन छवि गढ़ने एवं अमूलचूल बदलाव के लिए शोषित समाज की उपलब्धियों को भी सेलिब्रेट करना होगा।
ये चिंता का विषय है कि कामर्शियल क्रिकेट में हाफ सेंचुरी लगने पर भी बधाइयों की बाढ़ लगाने वाले, 500 करोड़ आदि का बिजनेस करने वाली फिल्मों को गाजे-बाजे के साथ सेलिब्रेट करने वाले बहुजन समाज के लोग, एकैडमिक जगत एवं तथाकथित बहुजन बुद्धिजीवी आदि स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा प्रो विवेक कुमार, जेएनयू, को World Scientist and University Ranking 2024 में शुमार किये जाने की खबर को जानते हुए भी वे, उनकी कलम और मोबाइल के की-पैड खामोश हैं।
बहुजन समाज को चिंतन करने की जरूरत है कि क्या हाफ सेंचुरी, 500 करोड़ का बिजनेस या नकारात्मक मुद्दों पर लिखने या बोलने से समाज की सकारात्मक छवि कभी बन सकती है? यदि नहीं तो बहुजन समाज, इसके तथाकथित बुद्धिजीवी, लेखक एवं बाबासाहेब की तश्वीर लगाकर लाइक, कमेंट बटोरने वाले लोग बहुजन समाज की उपलब्धि, देश की उपलब्धि को सेलिब्रेट करने से कतराते क्यों हैं?
विषमतावादी लोग शोषित समाज की उपलब्धियों को क्यों नजरअंदाज करते हैं ये तो समझ में आता है परन्तु यह चिंता व शोध का भी विषय है कि बहुजन समाज, इसके तथाकथित बुद्धिजीवी, लेखक, चिंतक व पत्रकार आदि वंचित समाज की सकारात्मक उपलब्धियों को स्वीकारने व सेलिब्रेट करने से हिचकते क्यों हैं? जबकि समाज की तश्वीर नकारात्मक मुद्दों से नहीं बल्कि सकारात्मक कृत्य, सोच, एजेण्डे, उपलब्धियों एवं आम जन जीवन में आत्मसात करने, सेलिब्रेट करने से बदलती है। बहुजन आन्दोलन इसी रीति-नीति के तहत ‘सामाजिक परिवर्तन एवं आर्थिक मुक्ति‘ के लक्ष्य के लिए संघर्ष करते हुए भारत राष्ट्र निर्माण को समर्पित है।
हमारे विचार से, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय अमेरिका द्वारा दलित समाज से आने वाले प्रो विवेक कुमार को विश्व के वैज्ञानिकों की लिस्ट में शुमार किया जाना सिर्फ प्रो विवेक कुमार (Prof Vivek Kumar) की ही नहीं बल्कि शोषित समाज की उपलब्धि है, देश की उपलब्धि है जो भारत में समाजिक बदलाव चिन्हित करते हुए शोषित समाज की बदलती स्थित एवं सकारात्मक छवि को रेखांकित करती है जोकि एक सेलिब्रेशन का विषय है।
— लेखक —
(इन्द्रा साहेब – ‘A-LEF Series- 1 मान्यवर कांशीराम साहेब संगठन सिद्धांत एवं सूत्र’ और ‘A-LEF Series-2 राष्ट्र निर्माण की ओर (लेख संग्रह) भाग-1′ एवं ‘A-LEF Series-3 भाग-2‘ के लेखक हैं.)