अक्सर बसपा सुप्रीमो पर बीजेपी यानि भारतीय जनता पार्टी की बी टीम होने का बेबुनियाद आरोप आम जनता और मीडिया द्वारा लगाया जाता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं बीजेपी को 2004 से 2014 तक सत्ता से बाहर करने का मुख्य कारण मायावती ही थी!
चौंकिए मत! इस बात का खुलासा किया है क्रांति कुमार जी ने. उन्होने इस बात की वकालत करते हुए कहा है कि अगर बहन मायावती जी बीजेपी की एजेंट होती 2003 में भारत के तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के फॉर्मूले को मानकर 2007 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी रहती!
उन्होने आगे कहा, “बहन मायावती जी अगर आडवाणी की बात मान जाति तो 2004 में यूपीए सरकार बन ही नही पाती. हो सकता है 2009 में भी दुबारा कांग्रेस जीतकर नही आती”
लालकृष्ण आडवाणी का फॉर्मूला जिसे मायावती ने ठुकराया
लालकृष्ण आडवाणी चाहते थे 2004 के लोकसभा चुनाव में बसपा 20 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़े और बाकी 60 सीटों पर बीजेपी अकेली लड़ेगी. उसके एवज में बहन मायावती को 2007 तक मुख्यमंत्री बने रहने दिया जाएगा.
बहन मायावती ने आडवाणी का यह फॉर्मूला ठुकरा दिया.
बहनजी समझ गयी भाजपा उनकी सरकार गिरा सकती है. सरकार गिराने से पहले बहनजी ने 2003 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
उस वक्त भाजपा केंद्र में थी, राज्य में गवर्नर विष्णुकांत शास्त्री और विधान के स्पीकर केसरीनाथ त्रिपाठी उसके थे.
बसपा के 98 विधायकों में से 37 विधायकों को तोड़कर नई लोकतांत्रिक बहुजन दल का गठन कर 143 विधायकों वाली समाजवादी पार्टी को समर्थन दिला दिया गया. विधानसभा स्पीकर ने मान्यता देकर मुलायम सिंह यादव को मुख्यमंत्री बनने का रास्ता बना दिया.
इस तोड़ फोड़ को बीजेपी नेता प्रमोद महाजन और सपा नेता अमर सिंह ने मिलकर अंजाम दिया था. भारतीय इतिहास में बसपा विधायकों की सबसे बड़ी टूट थी. इससे पहले 1960 में चौधरी चरण सिंह ने 17 विधायकों के साथ कांग्रेस को तोड़ा था.
2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी हार गई. अगर बहन मायावती जी ने बीजेपी का फॉर्मूला मान लिया होता तो ना सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री पद बलिदान करने का मौका मिलता ना ही मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बनते.
2004 से 2014 तक बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने का श्रेय बहन मायावती जी को ही जाता है.
(लेखक: क्रांति कुमार; यह लेखक के अपने विचार हैं)