‘फ्रीडम फाइटर अथवा स्वतंत्रा सेनानी‘ शब्द स्वतंत्रा दिवस आते-आते लोगों की जबान पर चढ़ जाता है. वो अलग बात है कि अधिकतर इसका मतलब भी नही जानते होंगे. भारत में आजादी के समय दो लड़ाईयाँ चल रही थी. हमारे इतिहास में सिर्फ एक ही लड़ाई दर्ज की गई है. दूसरी को कहीं भी जगह नही मिली है.
इस दूसरी लड़ाई के सबसे बड़े हिरो थे संविधान निर्माता विश्व रत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेड़कर. जिन्होने बहुजन समाज की हजारों साल पुरानी गुलामी की जंजीरे तोड़ी थी. मगर, इन्हे कोई भी फ्रीडम फाइटर नही कहता है. और ऐसे ना जाने कितने नाम भारत की मिट्टी में मिलकर मिट्टी बन गए.
लेकिन, एक बहुजन आर्टिस्ट लोकेश पूजा उके ने धरती में मिल गए और किताबों से गायब फाइटरों को फिर से जीवित करने का प्रण लिया है और अपनी कूची चलाकर उन्हे कैनवास पर उकेरकर भारत के लोगों के मानस में पहुँचाने की ऐतिहासिक शुरुआत की है.
उन्होने आज एक पोस्टर जारी किया है. जिसे आप नीचे देख सकते हैं.
इस पोस्टर को जारी करते हुए उन्होने कहा, “जातिवाद का दंश झेलते यह बहुजन स्वतंत्रा सेनानी. भारत के आजादी के लिए अपने प्राणों को बलिदान करने के बाद भी 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर नहीं किया जाता है इन्हे याद.”
इस सूची में उन्होने 8 बहुजन वीरों को शामिल किया है. इन बहुजन स्वतंत्रा सेनानियों के नाम नीचे गर्व के साथ प्रस्तुत हैं.
बहुजन स्वतंत्रा सेनानी – Bahujan Freedom Fighter Names
- झलकारी बाई
- उदादेवी पासी
- मातादीन भंगी
- तिलका मांझी
- बिरसा मुंडा
- सिधो
- कान्हो
- उद्दम सिंह
आपको बता दें यह सूची सिर्फ इन्ही नामों तक सीमित नही है.