1989 में (लोकसभा चुनाव के बाद) जब ‘संडे वीक’ रिपोर्टर स्वयं-सची जैन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हम मानते हैं कि कांग्रेस ने हमारी वजह से 50 लोकसभा सीटें हारी थी, लेकिन उन्होंने कहा कि हमने बसपा में 70 सीटें हारी थी.
मैंने उनसे कहा कि तुम सोचते हो कि तुम मुझसे बेहतर हो क्योंकि तुम्हारे पास एक कंप्यूटर है, जो मेरे पास नहीं है.
पत्रकार ने फिर सवाल करते हुए पूछा कि आपको यह किसने बताया था?
तो साहिब ने कहा कि मैं वही हूँ. मैं M.P. का नाम नही बताऊंगा क्योंकि राजनीति की इज्जत होनी चाहिए. वो कांग्रेस का एम.पी. मुझसे मिलने खुद आया था. साहब ने आगे भी वही खुलासा किया कि वो उस M.P. में नहीं होना चाहते थे. एम.पी. ने भी बताया कि हम यू हैं.
बसपा के चलते विधानसभा की 146 सीटों से पी ने धोया हाथ. साहिब ने एक और कहानी सुनाई कि लखनऊ सुनील शास्त्री राजीव गांधी उद्योग मंत्री) से उनकी वापसी पर मुलाकात हुई. मैंने खुद उनसे बात नहीं की उसने मुझसे पूछा गोरखपुर में ऐसा कैसा जादू किया कि मुझे चप्पल बेचने वाले बसपा प्रत्याशी ने हार दिया. मैंने उससे कहा जब जूता बेचने वाला नहीं मिला तो तेरे खिलाफ खड़े होकर मारना पड़ा. सर इतना बोल कर हंस पड़े.
जब पत्रकार ने आखिर साहिब से सवाल किया कि लोकसभा नहीं पहुंचने पर आपको कैसा लगता है?
तो इस सवाल पर डिंड्या साहब ने पूछा कि मेरे लिए चुनाव जीतना बहुत जरूरी नहीं था. राजीव गांधी ने मुझसे बात की (अमेठी से कागज वापस करने के लिए सहमत हो) शायद हम दोनों चुनाव जीत जाएं (राजीव ने संकेत दिया कि तुम किसी और पक्ष से लड़ो, हम तुम्हारा समर्थन करेंगे) फिर तुम मेरा विरोध क्यों कर रहे हो? बदले में मैंने राजीव गांधी से कहा कि चुनाव जीतना बहुत जरूरी है, वरना आप किसी पक्ष में नहीं रहेंगे. लेकिन मेरा चुनाव जीतना जरूरी नहीं है. मैंने भी राजीव से कह दिया की मैं तुझे हराना नहीं चाहता क्योंकि मैं तुझे जीतना भी चाहता हूँ राजा (भी) पी. सिंह) भी जीत गए. ताकि तुम आपस में झगडे और बहस में व्यस्त रहो और मैं आगे बढ़ सकूँ.
मैं राजीव को नहीं राजीव गांधी की पार्टी को हराना चाहता हूँ. साहिब ने ये भी खुलासा कर दिया कि देवीलाल ने और भी. पी. सिंह ने मुझसे मिलकर कहा था कि अमेठी की तरफ से लड़ो मैंने उन्हें अभी कहा कि अपने पहले कदम का स्वागत है, आपको चिंता करने की भी जरूरत नहीं है. लेकिन मैं अमेठी से चुनाव हर हाल में लडूंगा क्योंकि मुझे जनता में कांग्रेस और जनता दल के खिलाफ बहुत बोलना है.
(स्रोत: मैं कांशीराम बोल रहा हूँ का अंश; लेखक: पम्मी लालोमजारा, किताब के लिए संपर्क करें: 95011 43755)