यूपी: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर और श्रावस्ती जिले में समाजवादी पार्टी (सपा) और उसके मुखिया अखिलेश यादव को बड़ा झटका लगा है. आज दिनांक 19 जुलाई 2025 को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथपाल के नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें बूथ और सेक्टर के बेहतर गठन पर चर्चा हुई.
इस बैठक के दौरान श्रावस्ती जिले के भिनगा विधानसभा क्षेत्र में पूर्व लोकसभा प्रत्याशी हाजी मुईनुद्दीन खान उर्फ दद्दन खान के नेतृत्व में सैकड़ों मुस्लिम समुदाय के कार्यकर्ताओं ने समाजवादी पार्टी छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया.
बसपा में शामिल होने वाले प्रमुख नेताओं में मौलाना अहमद रजा, मौलाना ऐनुल हक, मोहम्मद आरिफ, डॉ. रसीद खान, मुबारक अली, मोहम्मद शरीर, मोहम्मद अली, शौकत अली, रईस अहमद, मौलाना निसार, मौलाना इरशाद, अफसर सिद्दीकी, मोबीन अहमद, अफजल खान, मौलाना निजामुद्दीन, मौलाना शावान अली, बबलू, इमरान अहमद, मौलाना इरफान, शमशाद अहमद, पप्पू खान, सलमान खान, मौलाना सद्दाम, ननकू खान, मलहे, रिजवान अहमद, ज़ैद खान, आरिफ शेख, फुरसत अली, जाकिर खान, रईस खान, राहुल सलमानी, आजाद खान, मौलाना रसीद मास्टर, मौलाना राजू सिद्दकी, महमूद अली और मौलाना कलाम शामिल हैं.
इन सभी मुस्लिम नेताओं ने बसपा सुप्रीमो मायावती की नीतियों में आस्था जताते हुए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की. बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने सभी नए सदस्यों का पार्टी में हार्दिक स्वागत किया और कहा कि यह कदम उत्तर प्रदेश में बसपा के जनाधार को और मजबूत करेगा.
उन्होंने कहा, “दलित, पिछड़े, मुस्लिम, गरीब, युवा और महिलाएं अब एकजुट होकर बसपा के साथ जुड़ रहे हैं. यह बदलाव 2027 के विधानसभा चुनाव में एक नई ताकत बनकर उभरेगा.” यह घटना उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत दे रही है, क्योंकि बसपा लगातार अपने कोर वोट बैंक को मजबूत करने के साथ-साथ अन्य समुदायों को भी जोड़ने में सफल हो रही है. मुस्लिम वोटर्स का समाजवादी पार्टी से छिटकना यूपी की बदलती राजनीति का संकेत है.