लखनऊ, 13 जुलाई 2025: बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) की आज एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई है. इस बैठक के बाद पार्टी में बड़े बदलावों के संकेत मिले रहे हैं.
पार्टी द्वारा जारी प्रेस रिलीज की माने पार्टी ने उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में बड़े राजनीतिक बदलाव की घोषणा की है. पार्टी ने कहा कि मायावती जी द्वारा आज यहाँ महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल जैसे कई राज्यों में पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए नई रणनीति बनाई गई है. इसके तहत देश व जनता के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर गहन संवाद किया गया.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा,
“संकीर्ण उद्देश्यों के लिए धार्मिक उन्माद के बाद अब भाषा व जातीय हिंसा आदि के बढ़ते रोग पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सभी सरकारों से कानून-व्यवस्था के साथ-साथ महँगाई, गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा तथा स्वास्थ्य आदि जैसी जनहित के जरूरी मुद्दों पर खास ध्यान देने की माँग की गयी, ताकि देशहित प्रभावित ना हो.”
दक्षिण भारत पर फोक्स दिखाया
इस बैठक में एक बात खास निकल आई है. बहुजन समाज पार्टी ने दक्षिण भारतीय राज्यों पर अपना फोक्स बढ़ाया है. पार्टी ने बताया कि कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी व सरकार के भीतर, पूर्व की भाजपा सरकार की तरफ ही, अनवरत राजनीतिक गुटबाजी, टकराव से उत्पन्न अस्थिरता के माहौल आदि का संज्ञान लिया और इसे कानून का राज प्रभावित होने वाली घटना बताया. साथ ही बीएसपी के चार बार के शासनकाल की याद दिलाते हुए कहा, “पार्टी की यूपी में चार बार रही मेरी हुकूमत में प्रदेश व देश के करोड़ों लोगों ने देखा व अनुभव किया था. इसलिए पार्टी के लोगों को अपनी पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ पार्टी व उसके अम्बेड़करवादी मिशन में तन, मन, धन से लगे रहना जरूरी है.”
बसपाईयों को बहुजन स्थल देखने की सलाह
बसपा सुप्रीमो मायावती बहनजी अपनी इस अतिमहत्वपूर्ण बैठक के दौरान पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं को बसपा शासनकाल में निर्मित बहुजन स्थाल देखने की बात कही है. उन्होने इसमें जोड़ा, “सभी वरिष्ठ पदाधिकारी समय निकालकर राजधानी लखनऊ के उन भव्य, विशाल व प्रसिद्ध स्थलों, स्मारकों, पार्कों आदि को देखने जरूर जायें जो बीएसपी की सरकार द्वारा बहुजन समाज में समय-समय पर जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों में भी खासकर महात्मा ज्योतिबा फुले, श्री नारायणा गुरु, राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज, परमपूज्य बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेड़कर व मान्यवर श्री कांशीराम जी आदि के आदर-सम्मान में व उनके स्मृतियों को सजोने के लिए निर्मित किये गये हैं और जिनके प्रति खासकर दलित व बहुजन समाज के लोग तीर्थस्थल के रूप में श्रद्धा रखते हैं.”