बात अप्रैल की. जगह लंदन यूके वहां साहेब का ठिकाना ‘अंबेडकर इंटरनेशनल मिशन’ और था. साहेब को बुद्ध विहार संस्था वालों ने एक कमरा उनके दौरे के लिए अलग से रख दिया था.
साहेब लंदन तीन दिन रहे और उन्होंने कम्युनिटी हाल में संबोधन भी किया. लंदन में बसे हुए प्रेममान के साथ साहेब रात को दो तीन बजे तक समाज के दुख-सुख की बातें करते रहे.
साहेब ने जो कोट पहन रखा था उसकी हालत खस्ता थी. एक रात को प्रेम ने कहा बाबू जी आपका भूरे रंग का कोट कंधों से फटा हुआ है. साहेब ने जो जवाब में कहा उसे सुनकर किसी भी संवेदनशील व्यक्ति का कलेजा फट जाए. साहेब ने कहा कि, “मेरा कोर्ट फटा है तो क्या हुआ मेरा कोर्ट तो अभी इतना नहीं फटा है इससे अधिक तो मेरे समाज की लाखों गरीब औरतों की सलवार फटी हैं. उनके पास तो उन्हें सिलने के लिए न सुई है और ना ही धागा.”
साहेब के कथन में सदियों का दर्द था जिसे सुनकर प्रेममान की आंखें में आंसू आ गए. अचानक प्रेम का ध्यान साहेब की फटी जुराबों की ओर चला गया. जिसे देखकर वह और भी उदास हो गए और साहेब से इनके बारे में भी जिक्र कर बैठे. साहेब ने कहा मेरी फटी जुराबों का क्या है मैं तो नंगे पैरों से भी यात्रा कर सकता हूं. यहां तक कि कई बार मैंने साइकिल भी नंगे पैर से चलाइए है. हमें कैंची चप्पल भी कहां नसीब होती है. यूं ही आगे बढ़ने के लिए हौंसले और कदमों की जरूरत होती है ना की चप्पलों या जुराबों की.
इंग्लैंड वालों मुझे एक जहाज लेकर दे दो
प्रेममान ने एक और खुलासा करते हुए बताया कि जब साहेब इंग्लैंड के दौरे पर आए थे तो उन्होंने इंग्लैंड के लोगों से अपील की थी कि आपसे मुझे एक भी रुपया नहीं चाहिए और ना ही मैं पैसा इकट्ठे करने आया हूं. बस आप मुझे एक जहाज लेकर दे दो ताकि मैं अधिक से अधिक प्रचार कर सकूं और अपने समाज के लोगों को जागृत कर सकूं. क्योंकि भारत बहुत बड़ा देश है मेरे लिए पैदल या साइकिल पर सारे मुल्क की सैर करना बहुत मुश्किल है. प्रेममान भरे मन से अफसोस जजाते हुए कहते हैं कि उस वक्त किसी भी व्यक्ति ने उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया था.
1995 तक उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार होगी.
प्रेममान साहेब की बातों को याद करते हुए आगे बताते हैं कि साहेब ने उस समय कहा था कि आज से ठीक 10 साल बाद यानी 1995 तक भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार होगी क्योंकि पंजाब के लोग अपनी सरकार बनाने में बहुत दिलचस्पी नहीं रखते. इसलिए मैं अपना सारा ध्यान उत्तर प्रदेश पर केंद्रित कर रहा हूं प्रेम मान कहते हैं कि उस समय इंग्लैंड के अधिकतर लोगों ने साहेब की बातों को हवा हवाई बातें ही समझा था, लेकिन जिस रोज उन्होंने 1993 में सपा के साथ मिलकर साझी सरकार और फिर 1995 में भाजपा की हिमायत से ठीक 10 साल बाद सरकार बनाई तो उस रोज इंग्लैंड वालों को साहेब की ताकत का अंदाजा हुआ था.
जहाज में एयर होस्टेज स्टाफ मेरी सुरक्षा करता है
प्रेममान बताते हैं कि जब साहेब को सवाल किया गया कि भारत में आप ब्राह्मणवाद और मनुवाद और आरएसएस के खिलाफ जी भर कर बोलते हो तो ऐसे में आपको काफी खतरा होगा सफर में आप अपने साथ सिक्योरिटी भी रखा करो इस पर साहेब का उत्तर हैरान करने वाला था. उन्होंने कहा मैं जहाज कि जिस सीट पर बैठता हूं जहाज में क्रू मेंबर्स कि आंख मुझ पर होती है कि कहीं मुझे कोई दिक्कत तो नहीं है. यहां तक कि एयर होस्टेज की आंखें भी मुझ पर होती है. एयर इंडिया में 50 से 100 फीसदी कर्मचारी अपने समाज से संबंधित हैं. वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष से बामसेफ से जुड़े हैं इसमें 26 लाख के करीब लोग जिसमें जज, आई.ए.एस, आई.पी.एस अफसरों से लेकर अन्य कर्मचारी तक शामिल हैं. मैं जब भी भारत में बहुजन महापुरुषों के आंदोलन के काम के लिए दौरे पर होता हूं तो यह लोग समय-समय पर छुट्टियां लेकर सिविल ड्रेस में मुझसे थोड़ी दूरी बनाकर रहते हैं मेरी सुरक्षा करते है.
(स्रोत: मैं कांशीराम बोल रहा हूँ का अंश; लेखक: पम्मी लालोमजारा, किताब के लिए संपर्क करें: 95011 43755)
