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Monday, September 16, 2024

कविता: पढ़िए समाज की सच्चाई पर यह शानदार कविता

बैरवा,जाटव,रैगर,कोली,
खटीक सबके न्यारे न्यारे ठाठ।

कभी नहीं पढ सकते हैं
ये एकता का पाठ।।

मेहनती हैं सारे
मेहनत करके खाते हैं।

पर राजनीति में तो ये
आज भी दुसरो की दरी बिछाते हैं।।

स्वार्थ की ये लड़ें लड़ाई
ले डुबी इन्हें टांग खिंचाई।

SC के सबसे ज्यादा वोट
फिर भी इन्होंने एकता नहीं दिखाई।।

बैरवा को बैरवा कांटे
जाटव को जाटव ही रहा काट।

रैगर को रैगर ने काटा
लें डुबे इन्हें समाज के ही मलाई चाट।।

समाज के सच्चे हितैषी की
नहीं मानते ये बात।

चमचों दलालों के चंगुल में
फंसकर खाते लात।।

समाज में एकता से ही
बन सकती है इनकी पहचान।

चमचों दलालों के चक्कर में
मत पड़ो देखो अपना मान सम्मान।।

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