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Saturday, April 19, 2025

बार-बार सीने में दर्द, बेचैनी या चक्कर आना, हार्ट डिजीज ही नहीं, इस बीमारी का भी हो सकता है संकेत

दिमाग हमारे पूरे शरीर को कंट्रोल करता है. जो हम सोचते है उस कार्य को करने के लिए आवश्यक निर्देश हमारा दिमाग ही देता है. इसकी कल्पना शक्ति इतनी पावरफुल होती है कि रस्सी का सांप बन जाता है. जी हां हमे सपनों में जो डर दिखाई देता है वह असल जीवन में भी उतर आता है और बीमारी की शक्ल में हमारे सामने आता हि.ऐसा ही एक मनोरोग है कार्डियोफोबिया. जो दिल की बीमारी से संबंधित है. यह रोग दिल की बीमारी नही बल्कि दिल की बीमारी की चिंता से होने वाला एक मनोरोग होता है.

कार्डियोफोबिया, जैसा की नाम से ही समझ आ रहा है कि ये बीमारी किसी फोबिया से जुड़ी है. इस बीमारी में मरीज को हमेशा हार्ट अटैक ही नहीं, कई अन्य चीजों का भी डर बना रहता है. ये बीमारी क्यों होती है और इसके क्या लक्षण हैं, चलिए जानें.

क्यों होता है कार्डियोफोबिया (Causes of Cardiophobia)

कार्ड‍ियोफोब‍िया होने की एक नहीं, कई वजह हो सकती है. अगर घर में किसी की हार्ट अटैक से मौत हुई हो, हार्ट डिजीज रही हो, हाई कोलेस्ट्राल, बीपी या सांस संबंधित दिक्कत रहने वाले लोगों में भी ये समस्या हो सकती है, क्योंकि इन सभी बीमारियों या स्थितियों में मरीज को अटैक आने के चांसेज रहते हैं. इससे मरीज के मन में एक डर बैठ जाता है जो धीरे-धीरे फोमिया में बदल जाता है.

कार्डियोफोबिया के लक्षण (Symptoms of Cardiophobia)

  • दिल की धड़कन तेज होना
  • एंग्जाइटी
  • हाई बीपी
  • सिर चकराना
  • बेहोशी
  • अचानक पसीना आना
  • कंपकंपी छूटना
  • सीने में दर्द

कार्डियोफोबिया की स्थिति (State of Cardiophobia)

कार्डियोफोबिया के मरीज कभी सांस लेने में दिक्कत, तो कभी सीने में भारीपन या दर्द होने की शिकायत करता है. कई बार हल्के सिर दर्द या उल्टी में वह इतना डर जाता है कि उसके डर से उसकी स्थित गड़बड़ होने लगती हे. उसे बार-बार लगता है कि उसकी मौत हो जाएगी.

कार्डियोफोबिया से बचने के उपाय एवं इलाज़ (Measures and Treatment to Avoid Cardiophobia)

सबसे पहले डॉक्टर से मरीज को मिलाएं और उसकी पूरी जांच कराएं. जांच रिपोर्ट अगर सामान्य है तो मरीज की काउंसलिंग कराएं और रिपोर्ट को दिखाएं ताकि उसके मन को तस्सली रहे. हालांकि, कार्डियोफोबिया को दूर करने के लिए साइकोलॉजिस्ट से जरूर संपर्क करें. रूटीन चेकअप, एक्सरसाज या योग और मेडिटेशन से भी समस्या पर कंट्रोल किया जा सकता है.

चेतावनी – आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए दिए गए हैं और इसे आजमाने से पहले किसी पेशेवर चिकित्सक सलाह जरूर लें. किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने, एक्सरसाइज करने या डाइट में बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें.

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