जब बसपा की सरकार बनी तो मान्यवर साहेब ने कहा कि हम उत्तर प्रदेश का अम्बेडकाराइजेशन करेगें। इसके लिए बहनजी ने संविधान सम्मत शासन, शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ-साथ भूमिहीनों को कृषि योग्य भूमि, बेघर लोगों को घर, सोशल सेक्युरिटी के तहत वृद्ध, विधवा एवं विकलांगों को पेंशन, गरीब बस्तियों में अम्बेडकर ग्राम योजना, युवाओं को काबिलियत के अनुसार रोजगार मुहैया कराया गया।
साथ ही, समतामूलक समाज सृजन के लिए अपना जीवन न्यौछावर करने वाले उन सभी महानायकों एवं महानायिकाओं को, उनके संदेशों, विचारों, संघर्षों एवं गौरव गाथाओं को स्मारकों एवं मूर्तियों के माध्यम से भारत के गरीब, शोषित समाज के जहन में तथा उत्तर प्रदेश की सरजमी पर इस कदर स्थापित किया कि आज इसकी गूंज अमेरिका तक सुनाई पड़ रही है।
भारत की जनता को उनके सच्चे नायकों एवं नायिकाओं से परिचित कराने के लिए बहनजी ने जो कार्य उत्तर प्रदेश में किया है उससे प्रेरित होकर भारत का दलित वंचित समाज भारत की सीमा के बाहर भी हर तरह की गैर-बराबरी को खत्म कर समतामूलक समाज सृजन के मानवीय लक्ष्य को ध्यान रखकर बाबासाहेब आंबेडकर को मानवीय मूल्यों के प्रेरणा स्रोत के तौर पर स्थापित कर रहा है। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका की धरती पर Status of Equality के तौर पर बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर की आदमकद प्रतिमा की स्थापना एवं अनावरण, इसका इस समय चहुँओर चर्चित एक महत्वपूर्ण और गर्व करने योग्य उदाहरण है।
अमेरिका ने भी अपनी धरती पर मानवता को दासता से मुक्त कराने के लिए संघर्ष किया है। स्वतंत्रता के लिए उसका संघर्ष इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है जिसने अमेरिका के बाहर सभी महाद्वीपों को Right to Freedom के लिए प्रेरित किया है। अमेरिका के इस इतिहास और संघर्ष को बयां करने हेतु 4 जुलाई, 1881 में फ्रांस ने अमरीका को Statue of Liberty भेंट की थी। और आज अमेरिका मतलब द लैण्ड आफ लिबर्टी और ब्रिटेन से शिक्षा प्राप्ति के पश्चात भारत की मनुवादी व्यवस्था को हटाकर समतामूलक सामाजिक व्यवस्था को स्थापित करने हेतु अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले बोधिसत्व विश्वरत्न मानवता मूर्ति परम पूज्य बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर के अनुयायिओं ने आज 14 अक्टूबर 2023 के दिन अमरीका को बाबासाहेब आंबेडकर की मूर्ति के रूप में एक Statue of Equality भेंट की है| इस स्थापना ने अमेरिका को अब द लैंड ऑफ़ इक्वलिटी का भी ख़िताब दे दिया है।
इस ऐतिहासिक पल के संदर्भ में लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि संकाय के शिक्षार्थी शैलजाकान्त इन्द्रा लिखते हैं कि ‘अमेरिका विश्व मे अपने कार्यों (सामाजिक संस्कृतिक आर्थिक व राजनितिक) के कारण अलग-अलग संज्ञाओं से जाना जाता है। ऐसे देश मे डॉ अम्बेडकर की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण भारत के साथ-साथ विश्व जगत के मानव समाज के लिए गौरव की बात है।’ इस प्रतिमा को मानव के लिए गौरव और ऐतिहासिक करार करते हुए आगे शैलजाकान्त इन्द्रा कहते हैं कि ‘विश्व पटल पर भारतीय संविधान के जनक परम पूज्य बाबा साहेब की प्रतिमा ‘स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व’ के मार्ग पर अग्रसर हर मानव के लिए गौरव और विश्व के लिए ऐतिहासिक क्षण है।
ये प्रतिमा ‘अम्बेडकर’ से ‘बोधिसत्व विश्वरत्न शिक्षा प्रतीक मानवता मूर्ति’ तक के सफर का विश्व पटल पर परिचायक बना। प्रतिमा को स्टेचू ऑफ इक्वालिटी की संज्ञा देने के पीछे मानव समाज मे ‘स्वतंत्रता समानता एवं बंधुत्व’ (Triad of Buddhism) की विचारधारा का संचार करना, साथ ही साथ आने वाली पीढ़ी के लिए बाबा साहेब नामक विश्वविद्यालय को विश्वपटल पर गिफ्ट करना है।’
अत: स्पष्ट है कि अमेरिका का ये Statue of Equality बहुजन वैचारिक, इसकी समतावादी सोच, सकारात्मक एजेण्डे और विश्वमानव कल्याण को समर्पित बहुजन आन्दोलन की आत्मनिर्भर व सतत् गति से आगे बढ़ते कारवां का द्योतक है।