बेंगलुरु: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने मंगलवार रात लंबी कैबिनेट बैठक में अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 17% आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला किया. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुए इस निर्णय के तहत सबसे पिछड़े दलित लेफ्ट समुदाय (जैसे माडिगा) को 6%, दलित राइट समुदाय (जैसे होलेया) को 6%, और ‘स्पर्श योग्य’ व अन्य एससी समूहों को 5% आरक्षण मिलेगा.
इस 6:6:5 फार्मूले की घोषणा सिद्धारमैया बुधवार को विधानसभा के मानसून सत्र में करेंगे. यह निर्णय दलित लेफ्ट समुदायों के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है, जो लंबे समय से न्यायमूर्ति नागमोहन दास आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे थे.
आयोग ने जनवरी 2025 में गठन के बाद 1.05 करोड़ एससी आबादी का सर्वे किया और पांच श्रेणियों में आरक्षण बांटने का सुझाव दिया: श्रेणी A (1%), श्रेणी B-दलित लेफ्ट (6%), श्रेणी C-दलित राइट (5%), श्रेणी D-‘स्पर्श योग्य’ (4%), और श्रेणी E-अस्पष्ट (1%).
आयोग का कहना था कि कुछ समुदाय लाभ लेकर आगे बढ़े, जबकि कई अब भी वंचित हैं। पिछली भाजपा सरकार ने 2022 में एससी आरक्षण 15% से बढ़ाकर 17% किया और 2023 में 6:5.5:4.5:1 फार्मूला प्रस्तावित किया, लेकिन यह लागू नहीं हुआ. अगस्त 2024 में सुप्रीम कोर्ट के राज्यों को आंतरिक आरक्षण की अनुमति देने के बाद कांग्रेस ने यह कदम उठाया.
कांग्रेस के लिए यह राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि दलित राइट समुदाय (मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे नेताओं का आधार) और दलित लेफ्ट समुदाय (जो हाल में भाजपा की ओर झुके) के बीच संतुलन बनाना जरूरी था. इस फार्मूले से रुकी हुई सरकारी भर्तियां भी शुरू होने की उम्मीद है.