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Wednesday, April 16, 2025
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Indra Saheb

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आपका जन्म शिक्षा भूमि, कर्मा जगदीशपुर, नौगवां, अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश (भारत) में हुआ है। आपके पिताजी का नाम श्री तिलकधारी और माताजी का नाम श्रीमती इन्द्रावती है। आप बचपन से ही समाज में फैले भेदभाव से रूबरू होने लगे थे। आपके बाल मन ने सवाल करना शुरू कर दिया था। इसी का परिणाम है कि सदियों से चली आ रही पिता के सरनेम को अपनाने की परिपाटी को त्यागकर आपने अपनी माताजी के नाम को अपना सरनेम बनाया जो नारी सशक्तिकरण का द्योतक है। आप शैक्षणिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और साहित्यिक आन्दोलन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। आपकी शोधपरक प्रवृत्ति, समझ व लेखन का ही परिणाम है कि आपके तमाम शोध-पत्र, लेख भारत ही नहीं बल्कि विश्व के तमाम पाठक विभिन्न पटलों पर पढ़ चुके हैं। A-LEF Series-1 की श्रृंखला के तहत आपका शोध-ग्रन्थ, 'मान्यवर कांशीराम साहेब संगठन-सिद्धांत एवं सूत्र', 2021 में प्रकाशित हो चुका है जिसे विद्वजनों द्वारा हाथों-हाथ लिया जा रहा है। जहाँ एक तरफ बहुजन वैचारिकी एवं बहुजन महानायकों/महानायिकाओं के सन्देशों, संघर्षों एवं शौर्यगाथाओं को जन-जन तक पहुँचाने की कड़ी में दीक्षा दीप महोत्सव, अम्बेडकर महोत्सव, संविधान महोत्सव, मान्यवर महोत्सव एवं माया महोत्सव आपकी प्रमुख सामाजिक और सांस्कृतिक पहल है तो वहीं दूसरी तरफ भारत राष्ट्रनिर्माण में महानतम योगदान देने वाले महानायकों/महानायिकाओं के विचारों, संदेशों, संघर्षों एवं शौर्यगाथाओं को जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से शुरू किये गए पाँच महत्त्वपूर्ण माह, दीक्षा माह, अम्बेडकर माह, संविधान माह, मान्यवर माह एवं माया माह, का सेलिब्रेशन आपकी राजनैतिक और शैक्षणिक पहल है। आपका शोध, अध्ययन, तजुर्बा, सोच-समझ एवं संघर्षगाथा प्रेरणादायी है। आपके लेख राजनैतिक व सामाजिक मुद्दों को समझने एवं सटीक निष्कर्ष पर पहुँचने में बहुत उपयोगी हैं। आप एक युवा आइकॉन, कवि, लेखक, राजनैतिक विश्लेषक, सामाजिक चिंतक, प्रेरक व प्रखर वक्ता हैं। आपके व्यक्तित्व, कृतित्व, चिन्तन व संघर्ष आदि से प्रभावित होकर लोग आपको प्यार व सम्मान से इन्द्रा साहेब कह कर सम्बोधित करते हैं।

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बहुजन आंदोलन की पावन परंपरा का प्रारंभ जगद्गुरु तथागत गौतम बुद्ध से माना जाता है। इस ज्ञानदीप्त परंपरा को सम्राट अशोक, जगद्गुरु संत शिरोमणि...

हुक्मरान बनो: बहुजन समाज के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण

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भटकाव का शिकार : महार, मुस्लिम और दलित की राजनीतिक दुर्दशा

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हिंदुत्व, ध्रुवीकरण और बहुजन समाज: खतरे में कौन?

प्रस्तावना: एक गढ़ा हुआ नैरेटिव पिछले कुछ दशकों से भारत में यह नैरेटिव गढ़ा गया है कि हिंदुत्व खतरे में है। इस कथन ने जनमानस...

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दलित साहित्य और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भारतीय समाज में शोषित वर्गों के उत्थान और उनकी आवाज को सशक्त करने के दो प्रभावशाली माध्यम...

व्यवस्था परिवर्तन का प्रचंड अग्निकांड: दलित समाज का नवजागरण और अमर विजय गाथा

आज का युग अधीरता का नहीं, क्रांति का युग है। चाहे जीवन की संकरी गलियां हों या राजनीति का विशाल रणक्षेत्र, हर दिल में...

जज यशवंत वर्मा प्रकरण और नालसा की मणिपुर विजिट के बीच संभावित कनेक्शन

मार्च 2025 में भारतीय न्यायिक और राजनीतिक परिदृश्य में दो समानांतर घटनाएँ चर्चा में रहीं—दिल्ली उच्च न्यायालय के जज यशवंत वर्मा से जुड़ा विवाद...

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