लालू यादव के बड़े बेटे और राजद नेता तेज प्रताप यादव ने एक वीडियो जारी कर दावा किया है कि उन्हें बदनाम करने की साजिश रची जा रही है. तेज प्रताप ने इसमें कहा है कि उनको बदनाम करने के लिए बड़े स्तर पर साजिश रची जा रही है. सबूत ले तौर पर उन्होंने वीडियो शेयर किया है जिसमें वो वेद प्रकाश नाम के एक यूट्यूबर को पीछा करते हुए दिखाई दे रहे हैं. तेज प्रताप ने इस यूट्यूबर का मांझी के साथ का कनेक्शन भी दिखाया है.
तेज प्रताप को बदनाम करने वाला कौन है?
तेज प्रताप ने दावा किया है कि उन्हें बदनाम करने के लिए खबरें बनाई जाती हैं. उन्होंने वीडियो में बताया है कि कैसे वेद प्रकाश जैसे लोग जो खुद को बड़े पत्रकार बताते हैं वो अपने चैनल पर केवल खबरों को बनाते हैं. पटना का रहनेवाला ये वेद प्रकाश नाम का यूट्यूबर अब भाग रहा है. ये यूट्यूबर कैमरा देख झट से अपनी कर में बैठ जाता है और वहाँ से निकल जाता है. ये यूट्यूबर तेज प्रताप से मिलने पहुंचा था लेकिन बाद में अपनी कर लेकर खुद ही भागने लगा.
पूर्व सीएम मांझी से क्या है कनेक्शन?
तेज प्रताप से मिलने पहुंचे यूट्यूबर और पत्रकार वेद प्रकाश को जैसे भी कुछ गड़बड़ होने की भनक लगी उसने अपनी कार भगा ली. इसके बाद तेज प्रताप ने उसका पीछा किया तो उस यूट्यूबर की कार पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के आवास के बाहर खड़ी मिली जिससे शक की सुई जीतनराम मांझी पर गई.
तेज प्रताप ने दावा किया कि उन्हें बदनाम करने के लिए वेद प्रकाश ने साजिश रची जिसका फायदा जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के महासचिव दानिश रिजवान ने भी उठाया था. रिजवान ने दावा किया था राबड़ी देवी के आवास पर तेज प्रताप ने RJD के नेताओं की जमकर पिटाई की थी. इसका दावा खुद यूट्यूबर वेद प्रकाश ने भी अपने चैनल में किया था. तेज प्रताप ने कहा कि ये जो आरोप उनपर लगाए जा रहे हैं उसकी वास्तविकता कुछ और ही है.
क्या है सच्चाई?
शुरुआती तौर पर देंखे तो तेज प्रताप जी बातें सच मालूम होती दिखाई देती है. लेकिन, उनके वीडियो में देंखे पता चलता है कि उनका इरादा क्या था. वे पत्रकार से उसके कैमरें और कैमरामैन को बाहर रखने के लिए बोलते हैं और साइड में आकर दो मिनट बात करने के लिए बोलते हैं.
इस हरकत से पत्रकार को अपनी बंधक बनाएं जाने का खतरा महसूस होता है तो वे मौका देखकर भाग जाते हैं. क्योंकि तेज प्रताप ने हाल ही में पार्टी कार्यकर्ता को थप्पड़ मारा था और उनका इतिहास विवादों से भरा रहा है. इसलिए, मामले की सच्चाई सामने आए बिना पत्रकार को दोषी नही ठहराया जाना चाहिए. पत्रकार तो सवाल पूछेंगे ही और रिपोर्ट भी बनाएंगे.