Mahila Reservation Bill: बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो बहन कुमारी मायावती जी ने कल फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके महिला आरक्षण बिल यानि नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर मोदी सरकार को घेरा है.
उन्होने साफ-साफ 33 फीसदी आरक्षण के बजाए इसे 50 फीसदी करने की मांग उठाई है और इस 50 फीसदी के भीतर भी अनुसूचित जाति/जनजाति/पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को आरक्षण देने की बात कही है.
उन्होने कहा, “संसद में कल में पेश महिला आरक्षण से सम्बंधित संविधान के 128वें संशोधन विधेयक 2023 के अंन्तर्गत, देश में लोकसभा व राज्य विधानसभाओं में भी 33 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण दिय जाने के कुछ प्रावधान ऐसे हैं जिसके तहत अगले काफी वर्षों तक अर्थात लगभग 15-16 वर्षों तक देश की महिलाओं को यह आरक्षण प्राप्त नहीं हो पायेगा.”
मायावती ने आगे जोड़ा, “संविधान संशोधन के पश्चात इस नई जनगणना में अनेकों वर्ष लग जायेंगे तब फिर उसके बाद ही पूरे देश में परिसीमन का कार्य शुरु किया जायेगा, जिसमें भी अनेकों वर्ष लग जायेंगे और इस परिसीमन के पश्चात का कार्य शुरु किया जायेगा, जिसमें भी अनेकों वर्ष लग जायेंगे और इस परिसीमन के पश्चात ही तब फिर यह महिला आरक्षण विधेयक लागू होगा, जबकि 128वें संशोधन की सीमा ही 15 वर्ष रखी गई है.”
मोदी सरकार की नीयत साफ नही
बसपा सुप्रीमो ने मोदी सरकार की नियत साफ नही बताते हुए कहा, “यह्स संविधान संशोधन विधेयक वास्तव में महिलाओं को आरक्षण देने की साफ नीयत से नहीं लाया गया है, बल्कि आने वाली विधानसभाओं तथा लोकसभा के चुनावों में देश की भोली-भाली महिलाओं को यह प्रलोभन देकर व उनकी आंखों में धूल झोंक कर उनका वोट हासिल करने की नीयत से ही लाया गया है. इसके सिवाय कुछ भी नहीं है.
इसी बात को आगे बढ़ाते हुए मायावती ने कहा, “और यदि ऐसा नहीं है तो फिर हमारी पार्टी केंद्र सरकार से यह अनुरोध करती है कि सरकार इस विधेयक में से या तोइन दोनों प्रावधानों को निकाले या फिर कुछ ऐसे उपाय तलाशे जिससे इस विधेयक के तहत महिलाओं को जल्दी ही आरक्षण का लाभ मिलना शुरु हो जाये.“
आरक्षण में हो आरक्षण
सोशल मीडिया पर चल रही बहस कि Quota in Quota को बसपा का समर्थन भी मिल गया है. बहनजी ने 33 प्रतिशत आरक्षण में SC/ST/OBC महिलाओं को अलग से आरक्षण देने की मांग की है.
उन्होने कहा, “केंद्र सरकार से पुन: यह अपील है कि 33 प्रतिशत महिलाओं के आरक्षण के अंतर्गत एससी/एसटी को जो आरक्षण दिया जाये. उसे वर्तमान में लागू आरक्षण के अतिरिक्त दिया जाये. साथ ही देश की ओबीसी वर्गों की महिलाओं का भी इस महिला आरक्षण विधेयक में अलग से आरक्षण कोटा सुनिश्चित किया जाना चाहिए, जो सामान्य वर्गों की महिलाओं की तुलना में ये अभी भी काफी पिछड़ी हुई हैं.”
गौरतलब है कि मायावती ने महिला आरक्षण बिल की 33 प्रतिशत सीमा को 50 फीसदी करने की मांग भी की है.