42.1 C
New Delhi
Saturday, April 19, 2025

केंद्रीय बजट में सिर्फ घोषणाएं, वादें, दावें और उम्मीद: मायावती

आम बजट 2023: बसपा सुप्रीमो मायावती ने आम बजट 2022-23 को हवाहवाई करार दिया है. उन्होने इस बजट को भी पिछले बजटों की भांति सिर्फ घोषणाओं, वादों, दावों से भरा हुआ बताया है.

बकौल मायावती, “देश में पहले की तरह पिछले 9 वर्षों में भी केंद्र सरकार के बजट आते-जाते रहे जिसमें घोषणाओं, वादों, दावों व उम्मीदों की बरसात की जाती रही, किंतु वे सब बेमानी हो गए जब भारत का मिडिल क्लास महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि की मार के कारण लोवर मिडिल क्लास बन गया, अति-दुखद.”

उन्होने अपने अगले ट्वीट में कहा, “इस वर्ष का बजट भी कोई ज्यादा अलग नहीं. पिछले साल की कमियाँ कोई सरकार नहीं बताती और नए वादों की फिर से झड़ी लगा देती है जबकि जमीनी हकीकत में 100 करोड़ से अधिक जनता का जीवन वैसे ही दाव पर लगा रहता है जैसे पहले था. लोग उम्मीदों के सहारे जीते हैं, लेकिन झूठी उम्मीदें क्यों?”

मायावती ने ग्रामीण भारत के विकास पर जोर देते हुए सरकार से इस ओर ध्यान देने की मांग करी और कहा, “सरकार की संकीर्ण नीतियों व गलत सोच का सर्वाधिक दुष्प्रभाव उन करोड़ों  गरीबों किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के जीवन पर पड़ता है जो ग्रामीण भारत से जुड़े हैं और असली भारत कहलाते हैं. सरकार उनके आत्म-सम्मान व आत्मनिर्भरता पर ध्यान दें ताकि आमजन की जेब भरे व देश विकसित हो.”

सरकार की कार्यशैली पर लताड़ लगाते हुए उन्होने कहा, “केंद्र जब भी योजना लाभार्थियों के आँकड़ों की बात करे तो उसे जरूर याद रखना चाहिए कि भारत लगभग 130 करोड़ गरीबों, मजदूरों, वंचितों, किसानों आदि का विशाल देश है जो अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं. उनके लिए बातें ज्यादा हैं. बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर.”

गौरतलब है कि आज केंद्र सरकार द्वारा आम बजट 2023 पेश किया गया है.

Download Suchak App

खबरें अभी और भी हैं...

दलित राजनीति का हाशियाकरण : एक करुण गाथा

भारत की सामाजिक-राजनीतिक वीथियों में दलित नेतृत्व का हाशियाकरण एक ऐसी करुण गाथा है, जो हृदय को मथ डालती है। यह गाथा उन अनकहे...

राजनैतिक परिपक्वता का अभाव: बहुजन समाज की चुनौती

बहन जी पर टिप्पणियाँ: एक चालाक रणनीतिभारत के राजनीतिक परिदृश्य में बहुजन विरोधी दल और उनके नेता अक्सर अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए...

बसपा ने मनाया बाबासाहेब का जन्मोत्सव और पार्टी का स्थापना दिवस

खैरथल: बहुजन समाज पार्टी जिला खैरथल ईकाई ने राष्ट्रनिर्माता, विश्वविभूति बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेड़कर का 134वां जन्मोत्सव किशनगढ़ बास मौजूद होटल ब्लू मून में...

भटकाव का शिकार : महार, मुस्लिम और दलित की राजनीतिक दुर्दशा

स्वतंत्र महार राजनीति का अंत महाराष्ट्र में महार समुदाय, जो कभी अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान के लिए जाना जाता था, आज अपने मुद्दों से भटक...

वक्फ बिल से बहुजन समाज पार्टी सहमत नहीं: मायावती

Waqf Bill: 2 अप्रैल 2025 को संसद नीचले सदन यानि लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किया गया. जिसे घंटों की चर्चा के बाद...

ओबीसी की वास्तविक स्थिति और उनकी राजनीतिक दिशा

ओबीसी समाज में लंबे समय से यह गलतफहमी फैलाई गई है कि वे समाज में ऊंचा स्थान रखते हैं, जबकि ऐतिहासिक और सामाजिक वास्तविकता...

भारत का लोकतंत्र और चुनावी सुधार: आनुपातिक प्रतिनिधित्व की आवश्यकता

प्रस्तावना: विविधता और जाति व्यवस्था भारत एक विविधतापूर्ण देश है, जहाँ अनेक भाषाएँ, धर्म और हजारों जातियाँ सह-अस्तित्व में हैं। यहाँ की सामाजिक व्यवस्था में...

राजनैतिक लाभ के लिए घिनौनी राजनीति कर रही सपा: मायावती

समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य रामजी सुमन के विवादित बयान पर राजनीति चर्चा तूल पकड़ती जा रही है. इस मामले में अब बसपा की...

जज यशवंत वर्मा प्रकरण और नालसा की मणिपुर विजिट के बीच संभावित कनेक्शन

मार्च 2025 में भारतीय न्यायिक और राजनीतिक परिदृश्य में दो समानांतर घटनाएँ चर्चा में रहीं—दिल्ली उच्च न्यायालय के जज यशवंत वर्मा से जुड़ा विवाद...

सौगात बांटने के बजाय शिक्षा-रोजगार पर ध्यान दे सरकार: मायावती

रमजान के महिने में मुस्लिम समाज को रिझाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने एक नया पैंतरा चला है. सौगता-ए-मोदी के नाम पर 32...

दलित-पिछड़ा गठजोड़ और बसपा: 2027 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के संदर्भ में संभावित प्रभाव और भविष्य

बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) ने अपनी स्थापना से ही दलितों, पिछड़ों, और अन्य वंचित समुदायों के उत्थान और सशक्तिकरण को अपना प्रमुख लक्ष्य बनाया...

पड़ताल: ‘बसपा’ के खिलाफ ही दुष्प्रचार क्यों?

भारत में तमाम राजनीतिक दल सक्रिय हैं। कुछ मजबूती से सत्ता में तो कुछ विपक्ष में क़ायम हैं। सबके अपने-अपने मुद्दे और निहित उद्देश्य...