ऋषि सुनक का ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने पर चल रही चर्चा के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती जी ने एक बड़ी बहस छेड़ दी है. उन्होने इस बहस के बीच दलित प्रधानमंत्री नही बनने पर सवाल उठाया है. उन्होन कहा, “भारतीय मूल के श्री ऋषि सुनक के अंतत: ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनकर इतिहास रचने पर यहाँ कांग्रेस व बीजेपी में ट्वीटर वार, आरोप-प्रत्यारोप व इधर-उधर की बात जारी है, किंतु उस राजनीतिक हक व इंसाफ की बातें नहीं की जा रही हैं जिस कारण देश में अभी तक कोई दलित पीएम नही बन पाया है.”
उन्होने इस मौके पर विदेशों द्वारा अपने-अपने देशों को विकसित और नई तरक्की पर पहुँचाने के लिए किए जा रहे राजनैतिक प्रयोगों की सराहना करते हुए उन्हे अपने देश में लागू करने की भी मांग की है.
उन्होने आगे कहा, “ऐसे समय जब अमेरिका व यूरोप के अमीर व विकसित देश जबर्दस्त संकटों के बुरे दौर से जूझ रहे हैं तथा स्थिति को संभालने के लिए नित्य नए प्रयोग कर रहे हैं, भारतीय हुक्मरानों को भी देशहित व यहाँ की जनता के भविष्य के लिए अपनी संकीर्ण एवं जातिवादी सोच को त्यागना ही होगा.”
इसमें आगे जोड़कर उन्होने देश की जनता को भी आगाह किया है कि वे देश में उपलब्ध विकल्पों में से सही की परख करें और अपने भविष्य का ध्यान रखते हुए चुनाव करें.
उन्होने कहा, “इसी क्रम में यह जांच/परख जरुरी है कि दलित, पिछड़े व उपेक्षितों का सच्चा हितैषी कौन? क्या परमपूज्य बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेड़कर को भुलाकर उनके करोड़ों अनुयाइयों का कोई असली हितैषी हो सकता है, जैसाकि श्री खड़गे सहित अन्य विरोधी नेतागण उनकी पार्टी की संकीर्ण सोच से मजबूर हैं.”
बता दें बहुजन समाज पार्टी की विचारधारा सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ति है. जिसे लागू करने के लिए बसपा दिन-रात मेहनत करती हुई अपनी सत्ता लाने के लिए देशभर में बहुजनों का ध्रुवीकरण करना चा रही है.