हाथी का विश्वास: बहुजन समाज की पहचान और बसपा का संकल्प
विश्वास की कसौटी
राजनीति के विशाल मंच पर जहाँ विचारधाराएँ और नेतृत्व की परीक्षा होती है, वहाँ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) एक ऐसी शक्ति के रूप में उभरती है, जो न केवल सत्ता की चाह में नहीं डूबती, बल्कि अपने लोगों की पहचान और स्वाभिमान को सर्वोपरि मानती है। कुछ लोग कहते हैं कि बसपा के परिणाम नकारात्मक इसलिए हैं, क्योंकि इसके पदाधिकारी गलत हैं। किंतु यह प्रश्न उठता है कि क्या पदाधिकारियों की गलती और आपके हाथ से ‘हाथी वाली बटन’ दबाने के बीच कोई सीधा संबंध है? यह लेख उस विश्वास की पड़ताल करता है, जो बसपा की वैचारिकी और बहनजी के नेतृत्व में निहित है, और यह समझाने का प्रयास करता है कि क्यों हर बहुजन को अपने मत का प्रयोग ‘हाथी’ के पक्ष में करना चाहिए।
पदाधिकारी और मतदान: एक गलतफहमी
मान लीजिए, कोई पदाधिकारी गलत है। क्या उसकी गलती आपके उस पवित्र अधिकार को प्रभावित करती है, जो मतदान के दिन आपके हाथ में होता है? क्या कोई पदाधिकारी आपके हाथ को पकड़कर आपको ‘हाथी वाली बटन’ दबाने से रोकता है? नहीं, यह निर्णय पूर्णतः आपका है। यदि आप बसपा की विचारधारा, इसके एजेंडे और बहनजी के संकल्प पर भरोसा रखते हैं, तो फिर उस ‘हाथी’ के प्रतीक से परहेज क्यों? यह प्रतीक केवल एक चिह्न नहीं, बल्कि बहुजन समाज के स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। मान्यवर कांशीराम का कथन इस संदर्भ में मार्गदर्शक है: “मैं आप तक पहुँचूँ या न पहुँचूँ, यदि हाथी का चिह्न आप तक पहुँच गया, तो समझ लीजिए कि मैं पहुँच गया हूँ।” यह विश्वास का वह सूत्र है, जो हर बहुजन को एकजुट करता है।
प्रत्याशी और वोट का महत्व
कभी-कभी यह तर्क दिया जाता है कि प्रत्याशी गलत है, तो वोट क्यों दिया जाए? किंतु सोचिए, यदि प्रत्याशी जीत न भी पाए, तो भी आपका वोट बसपा के प्रतिशत को सुरक्षित रखेगा। यह प्रतिशत केवल आँकड़ा नहीं, बल्कि आपकी राजनीतिक पहचान की नींव है। यह वह शक्ति है, जो बहुजन समाज को बुलंद रखती है। मान्यवर साहेब का यह संदेश गूँजता है: “मुझसे प्रत्याशी देने में गलती हो सकती है, पर आप वोट करते समय गलती न करें। हर सीट पर मैं स्वयं खड़ा हूँ।” इस दृष्टि से, हर ‘हाथी वाली बटन’ आपके विश्वास का प्रतीक है, जो बसपा को मजबूत करता है और आपके समाज को उसकी हक़ीक़ी आवाज़ देता है।
गलती का दंड और घर की एकता
कुछ पदाधिकारियों की गलती के कारण बसपा को वोट न देना ऐसा है, मानो घर के एक सदस्य की भूल के लिए पूरे घर को आग के हवाले कर दिया जाए। क्या यह उचित है? घर की एकता और उसकी नींव को बचाना हर सदस्य का दायित्व है। यदि कोई गलत है, तो बसपा में उसके खिलाफ कार्रवाई होगी, जैसा कि संगठन का इतिहास गवाह है। किंतु इस बहाने अपनी ही पार्टी को कमजोर करना आत्मघाती कदम है। यह वही संगठन है, जो आपके स्वाभिमान और समानता के लिए लड़ता है। इसे छोड़कर दूसरी बटन दबाना क्या आज तक आपके लिए लाभकारी रहा है? इतिहास इस प्रश्न का उत्तर देता है—नहीं।
निष्कर्ष: हाथी पर भरोसा, बहुजन का भविष्य
हर मत एक संदेश है, हर वोट एक संकल्प है। बसपा का ‘हाथी’ केवल एक चुनाव चिह्न नहीं, बल्कि बहुजन समाज की उस आकांक्षा का प्रतीक है, जो समता और सम्मान पर आधारित समाज का निर्माण करना चाहती है। पदाधिकारी हों या प्रत्याशी, उनकी गलतियाँ क्षणिक हो सकती हैं, किंतु आपका विश्वास और आपका वोट उस दीर्घकालिक लक्ष्य को साकार करता है, जिसे मान्यवर साहेब और बहनजी ने संजोया। इसलिए, हर वोट के दिन ‘हाथी वाली बटन’ दबाइए, क्योंकि यह आपकी पहचान को सुरक्षित रखने और भारत के भविष्य को सशक्त बनाने का मार्ग है। यह विश्वास का वह क्षण है, जब आप कह सकते हैं—हाँ, यह मेरा संगठन है, मेरा घर है।
(21.06.2023)