आधुनिक समय में समतामूलक समाज सृजन के आन्दोलन को राष्ट्रपिता ज्योतिबा फूले के बाद छत्रपति शाहूजी महाराज ने आगे बढ़ाया। इसके बाद बाबासाहेब ने इस आन्दोलन की कमान संभाली और इसके अखिल भारतीय से वैश्विक फलक पर रखकर देश की बड़ी आबादी के मुद्दे के वैश्विक मुद्दा बना दिया। विश्व फलक पर चर्चा होने लगी। लेकिन यह आन्दोलन इतना आसान नहीं था। बाबासाहेब को सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, आर्थिक हर स्तर पर इससे जूझना पड़ा। इस दौरान आन्दोलन के विरुद्ध दुष्प्रचार की समस्या आई जिसे अपनी दौलत की बदौलत मीडिया मीडिया के माध्यम से बहुजन समाज को गुमराह किया। इस समस्या को बयां करते हुए बाबासाहेब कहते हैं कि –
‘अन्य राजनीतिक संगठनों के कुछ ऐसे एजेन्ट हैं ,जो हमारे लोगों को झूठे प्रलोभन देकर, उनसे झूठे वायदे करके और झूठे प्रचार से उन्हें फुसलाते रहते हैं। यह हमारे अपने ही लोगों की अज्ञानता है ,जो उस संकट को नहीं जानते, जिसमें हम रह रहे हैं। वे यह भी नहीं जानते कि हमारे अपने राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपने राजनीतिक संगठन का कितना महत्व है। हमारे पास जो साधन हैं, वे बहुत ही कम हैं। हमारा अपना कोई समाचार पत्र नहीं है। हमारे लोगों पर भारत भर में आये दिन जो निर्मम अत्याचार होते हैं, उनका जिस प्रकार दमन किया जाता है, उसकी सूचना समाचार पत्रों में नही छपती। यहाँ तक कि समाचार पत्र हमारे सामाजिक व राजनीतिक प्रश्नों से सम्बन्धित विचारों को जान- बूझकर जनता के सामने नहीं आने देते। यह समाचार पत्रों की सुसंगठित साजिश का नतीजा है। हमारे पास धन नहीं है जिससे कि हम कोई ऐसी व्यवस्था कर सकें, जिससे अपने लोगों की सहायता की जाय और उन्हें शिक्षित किया जाय, आन्दोलित किया जाय तथा उन्हें संगठित किया जा सके। यही वे कठिनाइयां हैं, जिनसे हमें निपटना है। ‘ [1]
आज भी कुछ नहीं बदला है। मनुवादी अपनी सांस्कृतिक और आर्थिक पूंजी की बदौलत मीडिया के हर माध्यम को खरीद कर बहुजन समाज के लोगों को गुमराह कर रहे हैं। इसका परिणाम यह है कि आज बहुजन समाज के लोग बहनजी को उसी तरह से कोस रहे हैं जैसे कि ये कभी बाबासाहेब को कोसते थे। उस समय भी बहुजन समाज के चमचे कांग्रेस के हाथों में खेलते हुए बाबासाहेब के हर कदम पर कांटे बिछाकर उनके पावों को जख्म दिया था, आज भी बहुजन समाज के चमचे कभी कांग्रेस, कभी भाजपा, कभी सपा, टीएमसी, राजद जैसे मनुवादी दलों के शिकंजे में फंसकर बाबासाहेब के आन्दोलन की वाहक बसपा और मान्यवर साहेब की एकमात्र उत्तराधिकारी बहनजी की राहों में भी कांटे बो रहे हैं। इसमें मनु मीडिया के साथ-साथ तथाकथित बहुजन यूट्यूबर्स बहुजन आन्दोलन की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है। यही वजह है कि देश के बहुजन समाज को सचेत करते हुए बहनजी कहती हैं कि – हमारे समर्पित कार्यकर्ता ही हमारी मीडिया हैं।
स्रोत –
[1] बोधिसत्व बाबासाहेब डा .भीमराव अम्बेडकर, सम्पूर्ण वांंमय खन्ड-2
(14.03.2024)