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Wednesday, October 22, 2025

बसपा ने वंचित समाज को राजनैतिक तौर पर चैतन्य समाज बना दिया है

“बसपा: भारतीय लोकतंत्र में बहुजन क्रांति की मशाल”

भारतीय राजनीति और समाज के वर्तमान परिदृश्य में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विरुद्ध एक सुनियोजित दुष्प्रचार का तूफान उठाया जा रहा है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) जैसे दलित विरोधी दल और चमचे प्रवृत्ति के संगठन इस षड्यंत्र के सूत्रधार बने हुए हैं। ये वे शक्तियाँ हैं, जो संविधान की पवित्र भावना को तार-तार करने में संकोच नहीं करतीं और बहुजन समाज को भ्रम के कुहासे में धकेलने के लिए कपटपूर्ण योजनाएँ रचती हैं। इन चमचों का बसपा के प्रति विरोध इस कदर प्रबल है, मानो बहुजन समाज का शत्रु भाजपा, कांग्रेस, सपा, राजद, आप या टीएमसी न होकर स्वयं बसपा हो। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि हम भारतीय राजनीति और सामाजिक संरचना में बसपा द्वारा लाए गए क्रांतिकारी परिवर्तन पर गहन चिंतन करें।

बसपा का भारतीय लोकतंत्र में अमूल्य योगदान

बसपा ने भारतीय लोकतंत्र को एक ऐसी शक्ति प्रदान की है, जो इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। इसका योगदान केवल राजनीतिक ही नहीं, अपितु सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्रों में भी अभूतपूर्व है। आइए, इसके कुछ प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डालें:

  1. हाशिये के समाज का सशक्तिकरण
    बसपा ने उन समाजों को, जो सहस्राब्दियों से हाशिये पर धकेल दिए गए थे, राजनीति की मुख्यधारा में लाकर उन्हें एक सजग और सक्रिय राजनीतिक प्राणी बनाया। इसने भारत के इतिहास, संस्कृति, पाठ्यक्रम, राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था का लोकतंत्रीकरण कर देश को एक उन्नत लोकतंत्र की ओर अग्रसर किया। यह एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसने इस दिशा में ठोस और दूरगामी कदम उठाए।
  2. जातिगत वर्चस्व का अंत
    जाति पर आधारित भारतीय समाज में, जहाँ सत्ता और संसाधनों पर कुछ गिने-चुने समुदायों का कब्जा था, बसपा ने इस एकाधिकार को चुनौती दी। इसने प्रत्येक समाज की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए अन्य सभी दलों को विवश किया, जिससे सत्ता का विकेंद्रीकरण संभव हुआ।
  3. संवैधानिक कोटे की रक्षा
    स्वतंत्रता के पश्चात् हाशिये के समाजों को सरकारी नौकरियों में उनके संवैधानिक कोटे से वंचित रखा गया। बसपा ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय पटल पर लाकर इसके लिए संघर्ष का मार्ग प्रशस्त किया।
  4. दफन इतिहास का पुनर्जनन
    जाति विशेष द्वारा लिखे गए एकपक्षीय इतिहास को चुनौती देते हुए, बसपा ने हाशिये के समाजों के दफन इतिहास और संस्कृति को न केवल उजागर किया, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मानजनक स्थान दिलाया।
  5. नारी सम्मान और सशक्तिकरण
    नारी समाज, विशेष रूप से शोषित और वंचित वर्ग की महिलाओं को आत्मसम्मान और आत्मगौरव का बोध कराते हुए, बसपा ने उन्हें राजनीतिक रूप से सशक्त बनाया। यह एक ऐसी क्रांति थी, जिसने नारी शक्ति को नए आयाम दिए।
  6. बहुजन एकता और सत्ताप्राप्ति
    देश के समस्त वंचित समाजों को एक मंच पर एकत्र कर उन्हें ‘बहुजन’ की संज्ञा दी और उनकी राजनीतिक शक्ति का एहसास कराते हुए सत्ता के शिखर तक पहुँचाया। यह एकता बसपा की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
  7. प्रतिद्वंद्वियों में भय का संचार
    बसपा ने भाजपा, कांग्रेस, सपा, आप जैसे दलों के मन में इतना खौफ पैदा किया कि आज ये सभी बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की तस्वीरें लिए उनके नाम का जयघोष करने को विवश हैं।
  8. कांग्रेस की मजबूरी
    बाबासाहेब के इतिहास और योगदान को दफन करने वाली कांग्रेस आज नेहरू-गांधी परिवार को किनारे कर बाबासाहेब को सिर-माथे बिठाकर उनके सम्मान में जुलूस निकालने को बाध्य हो गई है। यह बसपा की शक्ति का ही परिणाम है।
  9. सपा का पतन
    दलितों से घृणा करने वाली, पिछड़ों के हक को कुचलने वाली, मुस्लिम समाज को हिंदू-मुस्लिम के भँवर में उलझाकर भाजपा को मजबूत करने वाली सपा, जिसने बसपा द्वारा बहुजन महापुरुषों के नाम पर बनाए गए जिलों के नाम बदले और अम्बेडकर स्मारकों पर बुलडोजर चलाने की मंशा जताई, आज घुटनों पर आ चुकी है। वह मान्यवर कांशीराम साहेब और बाबासाहेब का जयकारा लगाने को मजबूर है।
  10. दलितों के प्रति दिखावटी सम्मान
    दलितों के आरक्षण की घोर विरोधी सपा और आम आदमी पार्टी जैसे दल आज दलितों के घर जाकर उनके चरणों में सिर झुकाने को विवश हैं। यह बसपा की नीतियों का ही प्रभाव है।
  11. प्रतिनिधित्व में वृद्धि
    बसपा के सशक्त होने के साथ ही केंद्र और राज्यों में दलित, आदिवासी और ओबीसी विरोधी पार्टियाँ इन समाजों को मंत्री, राज्यपाल, कुलपति और विभिन्न आयोगों में सदस्य बनाने लगीं। यह बसपा की नीतियों का अप्रत्यक्ष परिणाम है।
  12. स्वतंत्र विचारधारा और सशक्तिकरण
    सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान यह है कि बसपा ने अपनी स्वतंत्र अम्बेडकरवादी विचारधारा, आत्मनिर्भर संगठन, सकारात्मक एजेंडा और उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार के दौरान किए गए ऐतिहासिक कार्यों के माध्यम से शोषित-वंचित समाज को उनके इतिहास, संस्कृति, संघर्ष, शौर्य और गौरव से परिचित कराया। उन्हें राजनीतिक प्राणी बनाकर अपने समाज और स्वयं के विकास का मार्ग प्रशस्त करने के लिए एक ऐसा मंच प्रदान किया, जहाँ वे पूरे हक और अधिकार के साथ गर्वान्वित होते हैं। बसपा ने सामाजिक ताने-बाने में क्रांतिकारी परिवर्तन लाकर वंचित समाज को चेतन्य बनाया और सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक लोकतंत्र को सुदृढ़ किया।

निष्कर्ष और आह्वान
बसपा के इस योगदान को देखते हुए यह स्पष्ट है कि वह केवल एक राजनीतिक दल नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति का प्रतीक है। कांग्रेस, सपा जैसे दल और उनके चमचे इस क्रांति को दबाने के लिए दुष्प्रचार का सहारा ले रहे हैं, किंतु बहुजन समाज को इनके मायाजाल से बाहर निकलना होगा। जनहित, राष्ट्रहित और लोकतंत्र के हित में मान्यवर कांशीराम साहेब के संदेश को आत्मसात करें। बसपा को अपना मत दें और बहनजी की शक्ति बनें। केंद्र व राज्य की सत्ता पर अपनी शर्तों और विचारधारा के आधार पर आत्मनिर्भर शासन स्थापित करें। फुले, शाहू और बाबासाहेब के सपनों के भारत के निर्माण में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करें। यह समय है सजग होने का, संगठित होने का और उस स्वर्णिम भविष्य की नींव रखने का, जहाँ हर वंचित का सम्मान और अधिकार अक्षुण्ण हो। बसपा इस संकल्प का मार्ग है, इसे सशक्त बनाना हम सबका कर्तव्य है।


— लेखक —
(इन्द्रा साहेब – ‘A-LEF Series- 1 मान्यवर कांशीराम साहेब संगठन सिद्धांत एवं सूत्र’ और ‘A-LEF Series-2 राष्ट्र निर्माण की ओर (लेख संग्रह) भाग-1′ एवं ‘A-LEF Series-3 भाग-2‘ के लेखक हैं.)


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