24.1 C
New Delhi
Wednesday, October 22, 2025

बसपा का उद्देश्य किसी को हराना या जिताना नहीं, अपनी सरकार बनाना है

बहुजन समाज का स्वाभिमान और बसपा का संकल्प: एक सशक्त भारत की ओर

भारतीय लोकतंत्र के विशाल पटल पर जहाँ विभिन्न राजनीतिक दल सत्ता के खेल में अपनी-अपनी चालें चलते हैं, वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) एक ऐसी विचारधारा के रूप में उभरती है, जो न केवल सत्ता के संग्राम से परे है, अपितु अपने सिद्धांतों पर अडिग रहकर देश के कारोबार को संविधान सम्मत ढंग से संचालित करने का संकल्प रखती है। बसपा का उद्देश्य किसी को पराजित करना या विजयी बनाना नहीं, बल्कि अपनी शर्तों पर शासन स्थापित कर समाज के उपेक्षित वर्गों—दलित, पिछड़े, और अल्पसंख्यक समुदायों—के लिए सम्मानजनक जीवन और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करना है। यह विचारधारा उस प्रश्न को जन्म देती है कि आखिर कब तक बहुजन समाज अन्य दलों के भय, छल और प्रलोभन के बीच फुटबॉल की भाँति ठोकरें खाता रहेगा?

बहुजन समाज की विडंबना
देश का दलित, पिछड़ा और मुस्लिम समुदाय लंबे समय से एक दुश्चक्र में फँसा हुआ है। एक ओर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का भय उसे कांग्रेस अथवा समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और आम आदमी पार्टी (आप) जैसे दलों की शरण में ले जाता है, तो दूसरी ओर इन दलों की नीतियों से व्यथित होकर वह पुनः भाजपा की ओर मुड़ता है। यह चक्र केवल सत्ता का खेल नहीं, बल्कि बहुजन समाज के स्वाभिमान और अस्मिता पर निरंतर प्रहार है। क्या यह समुदाय मात्र एक राजनीतिक उपकरण है, जो विभिन्न दलों के हाथों में खेलता रहेगा? यह प्रश्न न केवल गंभीर है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के मूल ढाँचे को भी चुनौती देता है।

मनुवादी दलों का जाल
बसपा की विचारधारा इस संकट को गहराई से समझती है। यह मानती है कि कांग्रेस, भाजपा, सपा, राजद, टीएमसी और आप जैसे दल, जिन्हें वह ‘मनुवादी’ संबोधित करती है, अपने स्वार्थों के लिए बहुजन समाज को बार-बार झाँसे में लेते हैं। इन दलों का उद्देश्य समाज के इस वर्ग को सशक्त करना नहीं, बल्कि इसे अपने वोट बैंक के रूप में उपयोग करना है। कभी ये दल सामाजिक न्याय का नारा बुलंद करते हैं, तो कभी धार्मिक ध्रुवीकरण का सहारा लेते हैं। परिणामस्वरूप, बहुजन समाज एक भँवर में फँसकर अपनी वास्तविक शक्ति और संभावनाओं से वंचित रह जाता है।

बसपा का वैकल्पिक मार्ग
ऐसे में बसपा एक सशक्त विकल्प के रूप में प्रस्तुत होती है। उसका लक्ष्य न तो बदला लेना है, न ही किसी दल विशेष को हराना या जिताना। उसका संकल्प है—सकारात्मक बदलाव के माध्यम से देश में शांति और समृद्धि की स्थापना करना। बसपा का मानना है कि मीडिया, सोशल मीडिया और यूट्यूबर्स द्वारा फैलाए जा रहे साम्प्रदायिक माहौल और उसके खिलाफ दुष्प्रचार से सावधान रहते हुए बहुजन समाज को एकजुट होना होगा। यह एकता ही केंद्र और राज्यों में संविधान सम्मत शासन की नींव रख सकती है। बसपा केवल सत्ता की चाह नहीं रखती, बल्कि एक ऐसे भारत का निर्माण करना चाहती है, जहाँ हर नागरिक को सम्मान, समानता और अवसर प्राप्त हो।

निष्कर्ष: एक सशक्त भारत का स्वप्न
बहुजन समाज के सामने आज एक निर्णायक मोड़ है। उसे यह समझना होगा कि वह न तो भाजपा के भय से बंधा है, न ही अन्य दलों के प्रलोभन का शिकार। उसकी शक्ति उसके स्वयं के संकल्प में निहित है। बसपा इस शक्ति को पहचानती है और इसे संगठित कर एक सुंदर भविष्य की ओर अग्रसर करना चाहती है। यह केवल एक राजनीतिक आह्वान नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति का सूत्रपात है, जो भारत को सशक्त और समावेशी राष्ट्र के रूप में स्थापित करेगा।

(10.03.2024)


— लेखक —
(इन्द्रा साहेब – ‘A-LEF Series- 1 मान्यवर कांशीराम साहेब संगठन सिद्धांत एवं सूत्र’ और ‘A-LEF Series-2 राष्ट्र निर्माण की ओर (लेख संग्रह) भाग-1′ एवं ‘A-LEF Series-3 भाग-2‘ के लेखक हैं.)


Buy Now LEF Book by Indra Saheb
Download Suchak App

खबरें अभी और भी हैं...

डीग में बसपा का संगठन समीक्षा एवं प्रशिक्षण शिविर, राजस्थान में मजबूती का संकल्प

डीग (भरतपुर), 30 सितंबर 2025 — बहुजन समाज पार्टी द्वारा आज विधानसभा स्तरीय संगठन समीक्षा एवं प्रशिक्षण शिविर का आयोजन नगर (डीग) में किया...

Opinion: समाजिक परिवर्तन के साहेब – मान्यवर कांशीराम

भारतीय समाज सहस्राब्दी से वर्ण व्यवस्था में बंटा है. लिखित इतिहास का कोई पन्ना उठा लें, आपको वर्ण मिल जायेगा. ‌चाहे वह वेद-पुराण हो...

बिहार चुनाव 2025: BSP की तैयारी पूरी समीक्षा बैठक में महत्वपूर्ण फैंसलें

बिहार चुनाव: आगामी कुछ महीनों में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने चुनावी रणनीति को अंतिम रूप...

एससी, एसटी और ओबीसी का उपवर्गीकरण- दस मिथकों का खुलासा

मिथक 1: उपवर्गीकरण केवल तभी लागू हो सकता है जब क्रीमी लेयर लागू हो उपवर्गीकरण और क्रीमी लेयर दो अलग अवधारणाएँ हैं. एक समूह स्तर...

130वें संविधान संशोधन बिल पर मायावती का तीखा हमला, कहा- “लोकतंत्र होगा कमज़ोर”

नई दिल्ली। संसद में कल भारी हंगामे के बीच केंद्र सरकार ने 130वाँ संविधान संशोधन बिल पेश किया. इस पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा)...

स्वतंत्र बहुजन राजनीति बनाम परतंत्र बहुजन राजनीति: प्रो विवेक कुमार

"स्वतंत्र बहुजन राजनीति" और "परतंत्र बहुजन राजनीति" पर प्रो विवेक कुमार का यह लेख भारत में दलित नेतृत्व की अनकही कहानी को उजागर करता...

मायावती ने अमेरिकी टैरिफ को बताया ‘विश्वासघाती’, संसद में चर्चा की मांग

Mayawati on Trump: बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए भारी-भरकम 50 प्रतिशत टैरिफ को लेकर तीखी प्रतिक्रिया...

अमेरिका की आर्थिक सख्ती पर मायावती की दो टूक – “देशहित से कोई समझौता नहीं होना चाहिए”

Mayawati Big Statement on Trump Action: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री UP मायावती ने अमेरिका द्वारा भारत पर आयात...

संसद में उठा “सेक्युलरिज़्म” हटाने का मुद्दा, मायावती बोलीं – संविधान से छेड़छाड़ बिल्कुल बर्दाश्त नहीं!

नई दिल्ली: संसद में कानून मंत्री के बयान से देश की राजनीति में हलचल मच गई है. चर्चा गर्म है कि क्या सरकार संविधान...

संसद का मानसून सत्र 2025 शुरू: मायावती की सरकार-विपक्ष से एकजुटता की अपील

नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती बहनजी ने आज से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र 2025 को...

विश्वनाथ पाल ने दिया सपा को झटका, सैकड़ों मुस्लिम नेता बसपा में शामिल

यूपी: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर और श्रावस्ती जिले में समाजवादी पार्टी (सपा) और उसके मुखिया अखिलेश यादव को बड़ा झटका लगा है. आज दिनांक...

घमासान तेज़: चंद्रशेखर ने भेजा 2.5 करोड़ का नोटिस, रोहिणी घावरी पर पलटवार

भीम आर्मी प्रमुख और आज़ाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आज़ाद ने सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में...