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Sunday, June 8, 2025
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Indra Saheb

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इन्द्रा साहेब जन्म उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले के कर्मा जगदीशपुर, नौगवां, अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र में हुआ। उनके पिता श्री तिलकधारी और माता श्रीमती इन्द्रावती हैं। बचपन से ही सामाजिक भेदभाव को देखकर उनके बाल मन ने सवाल उठाने शुरू किए, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने पितृसत्तात्मक परंपरा को तोड़ते हुए अपनी माता के नाम इन्द्रा को अपना सरनेम चुना, जो नारी सशक्तिकरण का प्रतीक है। इन्द्रा साहेब एक प्रख्यात कवि, लेखक, शोधकर्ता, राजनैतिक विश्लेषक, सामाजिक चिंतक और प्रेरक वक्ता हैं। उनकी शोधपरक लेखनी और विचारों ने भारत और विश्व स्तर पर पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है। उनकी पुस्तक ‘मान्यवर कांशीराम साहेब संगठन-सिद्धांत एवं सूत्र’ (A-LEF Series-1, 2021) को विद्वानों ने खूब सराहा। इसके बाद A-LEF Series-2 & 3: राष्ट्र निर्माण की ओर (लेख संग्रह) भाग-1 व 2 प्रकाशित हो चुकी हैं, जो अमेज़न, फ्लिपकार्ट और गूगल बुक्स पर उपलब्ध हैं। इन्द्रा साहेब ने सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक आंदोलनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने दीक्षा दीप महोत्सव, अम्बेडकर महोत्सव, संविधान महोत्सव, मान्यवर महोत्सव और माया महोत्सव जैसे आयोजनों के माध्यम से बहुजन वैचारिकी और महानायकों/महानायिकाओं के संघर्ष व संदेशों को जन-जन तक पहुँचाया। साथ ही, दीक्षा माह, अम्बेडकर माह, संविधान माह, मान्यवर माह और माया माह जैसे उत्सवों की शुरुआत कर राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वाले महान व्यक्तित्वों के विचारों को प्रचारित किया। उनका व्यक्तित्व, कृतित्व, चिंतन और संघर्ष युवाओं के लिए प्रेरणादायी है। सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर उनके लेख विश्लेषणात्मक और उपयोगी हैं। एक युवा आइकॉन के रूप में इन्द्रा साहेब समाज में बदलाव के लिए निरंतर कार्यरत हैं।

नया संसद भवन : ‘अनावश्यक विरोध’ विरोध के मायने को कमजोर करता है

लोकतंत्र की सीटों का निर्धारण जनसंख्या के अनुसार किया जाता है। मौजूदा लोकसभा की सीटों का निर्धारण 1971 की जनसंख्या को आधार मानकर किया...

आन्दोलन के लिए समय व ऊर्जा का सदुपयोग जरूरी

आज बहुजन समाज का एक बड़ा तबका सोशल मिडिया के माध्यम से अपनी बात को रखते हुए सरकार, सामाजिक व्यवस्था और मौजूदा वातावरण पर...

बहनजी पढ़कर भाषण क्यों करतीं हैं?

"वाणी का संयम, संकल्प का बल: बहनजी की अनकही साधना" बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और बहुजन आंदोलन के विरोधी, विशेषकर चाटुकारिता में लीन और संकीर्ण...

बहुजन आन्दोलन में नेतृत्व (बहनजी) मार्गदाता हैं, मुक्तिदाता नहीं

बहुजन आन्दोलन की शुरुआत जगतगुरु तथागत गौतम बुद्ध से मानी जाती है। तथागत के ज्ञान की परम्परा को सम्राट अशोक, जगतगुरु संत शिरोमणि संत...

13 मई : चौथा अम्बेडकरी शासन

भारत की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ तब आया जब उत्तर प्रदेश के विशाल भू-भाग पर सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन की लहर उठी। यह...

हमारी नेता तो ‘मायावती’‌ है – मान्यवर साहेब

"स्वतंत्र भारत में नेतृत्व : वैभव और वंचना" प्रस्तावना: नेतृत्व की प्रभा "नेतृत्व वह ज्योति है जो अंधकार में मार्ग प्रशस्त करती है।" — डॉ. भीमराव...

भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) का विकल्प कौन?

भारत में भाजपा का गठन दलितों, पिछड़ों को अपने स्वतंत्र एजेण्डे के साथ आत्मनिर्भर तौर पर सत्ता में आने से रोकने के लिए किया...

प्रो विवेक कुमार की उपलब्धि बहुजन समाज की पूंजी है

प्रोफेसर विवेक कुमार : हाशिये से विश्व फलक तक का सकारात्मक संनाद्ध यात्रा लखनऊ की धरती से एक बालक, जिसकी अंग्रेजी टूटी-फूटी थी, ने अपनी...

वोट का सही इस्तेमाल मतलब ‘संविधान का राज़’

भारत में विषमतावादी और समतावादी संस्कृति का द्वंद्व : बहुजन समाज का सकारात्मक पथ भारत में अनेक राजनैतिक दल, उनके सहयोगी संगठन और विविध समूह...

चुनाव से पहले रामचरित मानस का मुद्दा : क्रांति नहीं, भ्रांति है, भटकाव है

भारत विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, भाषाओं और जलवायु वाला देश है, परन्तु इस लेख के संदर्भ में इसे विभिन्न जातियों का देश कहना अधिक उचित...

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