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Monday, June 9, 2025
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Indra Saheb

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इन्द्रा साहेब जन्म उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले के कर्मा जगदीशपुर, नौगवां, अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र में हुआ। उनके पिता श्री तिलकधारी और माता श्रीमती इन्द्रावती हैं। बचपन से ही सामाजिक भेदभाव को देखकर उनके बाल मन ने सवाल उठाने शुरू किए, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने पितृसत्तात्मक परंपरा को तोड़ते हुए अपनी माता के नाम इन्द्रा को अपना सरनेम चुना, जो नारी सशक्तिकरण का प्रतीक है। इन्द्रा साहेब एक प्रख्यात कवि, लेखक, शोधकर्ता, राजनैतिक विश्लेषक, सामाजिक चिंतक और प्रेरक वक्ता हैं। उनकी शोधपरक लेखनी और विचारों ने भारत और विश्व स्तर पर पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है। उनकी पुस्तक ‘मान्यवर कांशीराम साहेब संगठन-सिद्धांत एवं सूत्र’ (A-LEF Series-1, 2021) को विद्वानों ने खूब सराहा। इसके बाद A-LEF Series-2 & 3: राष्ट्र निर्माण की ओर (लेख संग्रह) भाग-1 व 2 प्रकाशित हो चुकी हैं, जो अमेज़न, फ्लिपकार्ट और गूगल बुक्स पर उपलब्ध हैं। इन्द्रा साहेब ने सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक आंदोलनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने दीक्षा दीप महोत्सव, अम्बेडकर महोत्सव, संविधान महोत्सव, मान्यवर महोत्सव और माया महोत्सव जैसे आयोजनों के माध्यम से बहुजन वैचारिकी और महानायकों/महानायिकाओं के संघर्ष व संदेशों को जन-जन तक पहुँचाया। साथ ही, दीक्षा माह, अम्बेडकर माह, संविधान माह, मान्यवर माह और माया माह जैसे उत्सवों की शुरुआत कर राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वाले महान व्यक्तित्वों के विचारों को प्रचारित किया। उनका व्यक्तित्व, कृतित्व, चिंतन और संघर्ष युवाओं के लिए प्रेरणादायी है। सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर उनके लेख विश्लेषणात्मक और उपयोगी हैं। एक युवा आइकॉन के रूप में इन्द्रा साहेब समाज में बदलाव के लिए निरंतर कार्यरत हैं।

BIM फैक्टर: आज की राजनीति की हकीकत

मनुवाद का षड्यंत्र और बहनजी का मार्ग: अम्बेडकरवाद की विजय यात्रा हिंदुत्व का उन्माद और शोषित समाज का संकटपिछले दो दशकों से हिंदुत्व विचारधारा पर...

कविता : मैं शाहीन बाग हूंँ

मैं शाहीन बाग हूँ रो रहा है लाल किला,ताजमहल विरान है।सिसक रही है बुद्ध की धरती,दुःखी अम्बेडकर संविधान है।मैं इसकी गवाह हूँ,मैं बुद्ध-अशोक-अम्बेडकर की आवाज...

बैतूल (मुलताई) गोलीकांड – बहुजन जागरूकता सभा को बदनाम करने की साज़िश

मुलताई गोलीकांड 1998: बहुजन संघर्ष की एक दुखद अध्याय और आशा की किरण बसपा का उदय और बहुजन समाज का सशक्तिकरण1990 के दशक के अंत...

कविता : देश की पीड़ा

बुद्धमय भारत रहा,फली-फूली समृद्धि जिहमैं,सुख शांति औ मानवता कै ज्ञान।हड़प्पा मोहनजोदड़ो कहत,तक्षशिला-नालंदा करत है जिनका गुनगान।। फिर मनुष्य आवा भारत में,कै षड्यंत्र बांट दिया मानव...

कविता: इंद्रा साहेब की ‘चमचा युग’ कविता

सन् 1932 में,हुआ था पूना में एक करार,जिसमें छिन गया शोषितों का हक,उनकी मुक्ति व पृथक पहचान। फिर यहीं से शुरू हुआ था,चमचों का युग...

कविता: मानवता की इमारत रहे सदा बुलंद

कितनें साल आये और चलें गयेब्रहम्णी व्यवस्था वही रही,दिन बीते, महीने बीते, सालों साल बीत गये,फिर भी जातियाँ बनी रहीं। समय बदला, ऱितुएँ बदली,पर नारी...

जमींदार धरना प्रदर्शन – 2020 : भंते जी, राजनैतिक नेतृत्व एवं शोषित वर्ग

"किसान आंदोलन: भूमिहीन मजदूरों की अनदेखी और सामंती शोषण का सच" प्रस्तावना भारत में कृषि कानूनों के विरुद्ध चल रहा आंदोलन आज एक ज्वलंत चर्चा का...

राजनैतिक गठबंधन vs सामाजिक गठबंधन

सामाजिक गठबंधन: बहुजन समाज का स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता की राह प्रस्तावना भारत एक ऐसा देश है जहाँ विविधता इसकी आत्मा में बसी है। विभिन्न विचारधाराएँ,...

मनुवादियों का सेलिब्रेशन समतावाद से भटकाव का द्योतक है

बहुजन आंदोलन का स्वाभिमान: उधारी के नायकों से मुक्ति की पुकार प्रस्तावना: एक चिंताजनक प्रवृत्ति का उदय आज के दौर में बहुजन समाज पार्टी (बसपा)...

बहुजन एवं मनुवादी राजनीति में इनके बुद्धिजीवियों की संबंधित भूमिका

बहुजन आंदोलन का संकट: अपने ही बुद्धिजीवियों से खतरा प्रस्तावना: एक आत्मघाती प्रवृत्ति का उभारआज बहुजन समाज के बीच एक ऐसी चर्चा आम हो चली...

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