38.2 C
New Delhi
Sunday, June 8, 2025
- Advertisement -spot_img

AUTHOR NAME

Indra Saheb

108 POSTS
0 COMMENTS
इन्द्रा साहेब जन्म उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले के कर्मा जगदीशपुर, नौगवां, अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र में हुआ। उनके पिता श्री तिलकधारी और माता श्रीमती इन्द्रावती हैं। बचपन से ही सामाजिक भेदभाव को देखकर उनके बाल मन ने सवाल उठाने शुरू किए, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने पितृसत्तात्मक परंपरा को तोड़ते हुए अपनी माता के नाम इन्द्रा को अपना सरनेम चुना, जो नारी सशक्तिकरण का प्रतीक है। इन्द्रा साहेब एक प्रख्यात कवि, लेखक, शोधकर्ता, राजनैतिक विश्लेषक, सामाजिक चिंतक और प्रेरक वक्ता हैं। उनकी शोधपरक लेखनी और विचारों ने भारत और विश्व स्तर पर पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है। उनकी पुस्तक ‘मान्यवर कांशीराम साहेब संगठन-सिद्धांत एवं सूत्र’ (A-LEF Series-1, 2021) को विद्वानों ने खूब सराहा। इसके बाद A-LEF Series-2 & 3: राष्ट्र निर्माण की ओर (लेख संग्रह) भाग-1 व 2 प्रकाशित हो चुकी हैं, जो अमेज़न, फ्लिपकार्ट और गूगल बुक्स पर उपलब्ध हैं। इन्द्रा साहेब ने सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक आंदोलनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने दीक्षा दीप महोत्सव, अम्बेडकर महोत्सव, संविधान महोत्सव, मान्यवर महोत्सव और माया महोत्सव जैसे आयोजनों के माध्यम से बहुजन वैचारिकी और महानायकों/महानायिकाओं के संघर्ष व संदेशों को जन-जन तक पहुँचाया। साथ ही, दीक्षा माह, अम्बेडकर माह, संविधान माह, मान्यवर माह और माया माह जैसे उत्सवों की शुरुआत कर राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वाले महान व्यक्तित्वों के विचारों को प्रचारित किया। उनका व्यक्तित्व, कृतित्व, चिंतन और संघर्ष युवाओं के लिए प्रेरणादायी है। सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर उनके लेख विश्लेषणात्मक और उपयोगी हैं। एक युवा आइकॉन के रूप में इन्द्रा साहेब समाज में बदलाव के लिए निरंतर कार्यरत हैं।

सकारात्मक एजेण्डा ही शोषित को सत्तारूढ़ कर सकता है

समतावाद का पथ और मनुवादी जाल भारत में बहुजन समाज को उसके स्वाभाविक एजेण्डे से विमुख करने हेतु तीनों मनुवादी दल—भाजपा, सपा और राजद—धर्म और...

किसी को हराना या जिताना नहीं, बल्कि ‘मजलूमों की सत्ता’ है बसपा का लक्ष्य

बसपा की स्वतन्त्र अस्मिता और मीडिया का दुराग्रह भारत में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का उदय 1984 में मजलूमों की पुकार बनकर हुआ। अपनी स्वतन्त्र...

जन्मदिन विशेष: सामाजिक परिर्वतन की महानायिका व ‘राष्ट्र गौरव’ बहनजी

समतावाद का संकल्प और बहनजी का योगदान भारत में विषमतावादी व्यवस्था को ध्वस्त कर समतामूलक समाज की स्थापना की परम्परा सहस्राब्दियों से संनादति रही है।...

कविता: बदल दिया सदियों का इतिहास; इंद्रा साहेब की कविता

बुद्ध रैदास कबीर की वाणी,फूले शाहू अम्बेडकर नाम,किया संघर्ष जीवन भर,लाये लंदन से हक़ अधिकार। मनु ने लगाई प्राण की बाजी,त्याग दिया अन्न व जलपान,किया...

पौराणिक कथाएं – शूद्रों की गुलामी का षड्यंत्र ग्रंथ

विषमतावादी कथाओं का जाल और शूद्रों की गुलामी भारत का हिन्दू समाज वर्णव्यवस्था पर आधारित सहस्रों जातियों और उपजातियों में विखण्डित है। मैक्स मूलर और...

बहनजी व बसपा विरोध, बहुजन सरकारी अधिकारियों का धंधा है

बहुजन चेतना का संकट और बसपा की प्रासंगिकता हाल ही में हमारी भेंट एक दलित क्लास-2 गजेटेड अधिकारी से हुई। बातचीत में उन्होंने प्रश्न उठाया,...

बसपा – सकारात्मक बदलाव की सफलतम दास्ताँ

अत्याचारों का अंत और बहुजन सत्ता का उदय आज बहुजन समाज—दलित, आदिवासी और पिछड़े—जातिगत अत्याचारों के दंश से कराह रहा है। उनकी बच्चियों की अस्मिता...

समतावादी संस्कृति की ओर

नववर्ष संकल्प : बहुजन समाज की स्वतंत्र पहचान का सृजन नये वर्ष के आगमन पर बहुजन समाज के समक्ष एक स्वर्णिम अवसर है कि वह...

जातिवादी व व्यापारी मीडिया के दुष्चक्र में बहुजन

मीडिया का व्यापार और बहुजन समाज का भटकाव पहले जब मीडिया खबरें देता था, तो यह व्यवसाय कहलाता था, किंतु आज यह खबरें बनाता है...

ओबीसी समाज का बसपा से भटकाव ही उनकी दुर्दशा का कारण है

हाथी का पतन, बंदर का राज : बहुजन आंदोलन की दिशा जंगल में शाकाहारी जानवरों का राजा हाथी धीर-गंभीर और बुद्धिमत्ता के साथ शासन करता...

Latest news

- Advertisement -spot_img